Ranchi : अपनी स्थापना के नौ वर्ष बाद झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय ने आज रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत मंडप में अपना पहला दीक्षांत समारोह आयोजित किया. वर्ष 2016 में स्थापित इस विश्वविद्यालय के इतिहास में आज का दिन एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज हो गया.

समारोह में कुलाधिपति एवं राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे. वहीं, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और झारखंड के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए.
विश्वविद्यालय के फॉरेंसिक साइंस, साइबर सिक्योरिटी, सिक्योरिटी मैनेजमेंट, एमएससी इन फॉरेंसिक साइंस, एमए/एमएससी इन क्रिमिनोलॉजी के छात्रों को डिग्री प्रदान की गई.
कुल 673 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया, जिनमें से 21 मेधावी छात्रों को गोल्ड मेडल दिया गया. इसमें यूजी के 2019 के बाद और पीजी के 2020 के बाद पासआउट विद्यार्थी शामिल हैं.
स्वागत भाषण में कुलपति राहुल कुमार पुरवार ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के स्थायी परिसर के लिए खूंटी में 75 एकड़ में बनने वाली भवन निर्माण परियोजना (DPR) अंतिम चरण में है और आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय का अपना भव्य भवन तैयार होगा.
मंत्री सुदिव्य कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि दीक्षांत समारोह छात्रों के लिए गुरुकुल से मिली महत्वपूर्ण दीक्षा है. उन्होंने कहा कि यह भूमि छात्रों के लिए मंदिर है. यहां से दीक्षा लेकर निकले विद्यार्थी भविष्य में समाज को अपराधमुक्त रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. आप सभी अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त करें, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं.
संजय सेठ ने इसे सौभाग्य का क्षण बताते हुए कहा कि बचपन में हम सभी इस गाउन को पहनने का सपना देखते थे. यह सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक पंख है जो आपको देश सेवा के अवसरों तक ले जाएगा. भारत के युवा आज दुनिया में परचम लहरा रहे हैं और आप सभी विकसित भारत के ब्रांड एंबेसडर हैं.
मुख्य अतिथि एवं कुलाधिपति संतोष गंगवार ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का पहला दीक्षांत समारोह केवल शैक्षणिक प्रतीक नहीं, बल्कि राज्य का भी गौरव है. यहां के युवाओं में देश की सेवा का उत्साह स्पष्ट दिखता है.
विकसित भारत 2047 में युवाओं की बड़ी भूमिका है, और मुझे विश्वास है कि यह विश्वविद्यालय रक्षा क्षेत्र के लिए एक उदाहरण बनेगा. आप जहां भी जाएं, यह प्रदर्शित करें कि आपने यहां से केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कार भी प्राप्त किए हैं.
समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन में कुलसचिव डॉ हेमेंद्र कुमार भगत ने कहा कि पहले दीक्षांत समारोह का हिस्सा होना मेरे लिए गर्व की बात है. राज्यपाल, उच्च शिक्षा मंत्री, रक्षा राज्य मंत्री, कुलपति तथा रांची विश्वविद्यालय के सभी शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मचारियों के सहयोग से ही यह आयोजन सफल हो पाया.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.




Leave a Comment