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भारतीय साहित्य के महाकुंभ में झारखंडी जनजातीय भाषाओं को मिली जगह : डॉ. संघमित्रा

Ranchi : साहित्य के महाकुंभ में झारखंडी जनजातीय भाषाओं के रचनाकारों को जगह मिली है. इस महाकुंभ में मुकुंद रविदास, नेत लाल यादव, प्रेमचंद उरांव और महादेव डुंगरियार शामिल होंगे. रांची की प्रसिद्ध कवयित्री सह अनुवादक डॉक्टर संघमित्रा रायगुरु की वजह से संभव हुआ है. वह परिचय लिट्रेचर फेस्टिवल की एक्जीक्यूटिव कमेटी की सदस्य हैं.

 

इस साहित्य महाकुंभ (परिचय लिट्रेचर फेस्टिवल) का आयोजन 15-17 तक भुनेश्वर में होगा. यह साहित्य महाकुंभ भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों का उत्सव है. इसमें देश की 22 संवैधानिक भाषाओं, पांच जनजातीय भाषाओं के सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के 200 से अधिक कवि, रचनाकार और अनुवादक शामिल होंगे. साहित्य महाकुंभ में कविता, अनुवाद, समकालीन सृजन पर विचार-विमर्श के साथ-साथ अनुदित पुस्तकों का लोकार्पण भी होगा.

 

डॉक्टर संघमित्रा रायगुरु अपने प्रयासों से झारखंड की कुडुख, कुड़माली, खोरठा और संताली जैसी जनजातीय भाषाओं को राष्ट्रीय संवाद का हिस्सा बना चुकी हैं. इस साहित्य महाकुंभ का आयोजन परिचय फाउंडेशन की संस्थापिका डॉक्टर रोजलिन पाट्टसानी मिश्रा और प्रियदर्शी मिश्रा, डॉक्टर फनी महांति और अमरेंद्र खतुआ के मार्गदर्शन में किया जा रहा है.

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