Ranchi : कोरोना से लड़ाई में बांग्लादेश से केंद्र को मिले 10,000 रेमडेसिविर पर सियासत गरमा गयी है. सत्तारूढ़ जेएमएम ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिखे पत्र का 17 दिन बीतने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिलने पर केंद्र व बीजेपी नेताओं की नीति पर सवाल उठाया है. जेएमएम ने पूछा है कि आखिर झारखंडियों से इतनी नफरत बीजेपी नेताओं को क्यों है. एक तो केंद्र सीएम हेमंत सोरेन के लिखे पत्र का कोई जवाब नहीं देती. दूसरी तरफ बाबूलाल मरांडी कहते हैं कि बांग्लादेश की किसी कंपनी ने झारखंड या दूसरे राज्यों को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए रेमडेसिविर देने को कोई आवेदन केंद्र को नहीं दिया है. जेएमएम का कहना है, “केंद्र मदद करेगा नहीं और हेमंत सरकार को खरीदने देगा नहीं, ऐसा क्यों. आख़िर झारखंडियों से इतनी नफ़रत क्यों? क्या झारखंडियों के जीवन का कोई मोल नहीं?”
बता दें कि झारखंड में बढ़ते कोरोना संक्रमण और गंभीर मरीजों के इलाज को लेकर हेमंत सरकार ने बांग्लादेश की फार्मा कंपनियों से 50,000 रेमडेसिविर खरीदने की योजना बनायी है. इसे लेकर बीते 19 अप्रैल को हेमंत सोरेन ने केन्द्रीय उर्वरक एवं रसायन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को एक पत्र भी लिखा था. लेकिन आज तक केंद्र ने इसपर कोई अनुमति नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट ने कोई जवाब नहीं देने पर केंद्र से जवाब मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 10 मई को होनी है.
विपक्ष ने की थी बयानबाजी
बांग्लादेश से रेमडिसिविर इंजेक्शन को लेकर सीएम के लिखे पत्र के बाद सत्ता और विपक्ष की तरफ से काफी बयानबाजी भी हुई थी. बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील कुमार तिवारी ने कहा था कि देश में ऐसा और कोई उदाहरण नहीं, जहां दूसरे राज्य में यह सुई सीधे मंगाकर इस्तेमाल किया जा रहा है? ऐसे में झारखंड सरकार एक अनूठा व इकलौता प्रयोग कर रही है.
इसपर जेएमएम ने कहा, “बताइए अगर परोपकार में मिल रही बांग्लादेशी रेमेडिसिविर सही पाया गया है तो फिर हम अपने लोगों के लिए ख़रीद उनकी मदद क्यूं नहीं कर सकते ? सीएम के पत्र पर 17 दिन से एक साइन नहीं हुआ दिल्ली के बाबुओं और मंत्रियों द्वारा”.