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आम्रपाली परियोजना नौकरी-मुआवजा घोटाला : CID थाना में दर्ज होगा नया केस

Ranchi :   जिले के टंडवा थाना क्षेत्र स्थित आम्रपाली परियोजना से जुड़े नौकरी और मुआवजा घोटाले की जांच अब सीआईडी करेगी.  जानकारी के अनुसार, टंडवा थाना में इस घोटाले से जुड़ा जो मामला मार्च महीने में दर्ज हुआ था, उसमें अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है, ना ही कोई सुपरविजन किया गया है. मामले में लगातार लापरवाही और धीमी जांच को देखते हुए अब इस केस को पूरी तरह से सीआईडी टेकओवर करेगी. सीआईडी थाना में एक नया मामला दर्ज किया जाएगा, ताकि निष्पक्ष और तेज जांच हो सके. 

 

जांच में सामने आई लापरवाही

वर्तमान अनुसंधानकर्ता ने लिखित रूप से अनुरोध किया था कि केस उनसे लेकर किसी वरीय अधिकारी को सौंपा जाए. इसके बाद एसपी ने टंडवा थाना के इंस्पेक्टर को जांच का चार्ज लेने का आदेश दिया, लेकिन अब तक इंस्पेक्टर ने चार्ज नहीं लिया. जांच में सामने आयीं कई प्रशासनिक त्रुटियां को देखते हुए  सीआईडी में मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया है.

 

पहले ही हो चुकी है प्रारंभिक जांच

गौरतलब है कि इससे पहसे सीआईडी ने आम्रपाली परियोजना में नौकरी और मुआवजा घोटाले के आरोपों की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है, जिसकी रिपोर्ट डीजीपी अनुराग गुप्ता को भेज दी गयी है. अब विस्तृत जांच के लिए नया मामला दर्ज कर प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा.

 

जिला प्रसाशन की जांच में हुई थी पुष्टि, फर्जीवाड़ा में सरकारी कर्मी-सीसीएल की संलिप्तता

इससे पहले जिला प्रशासन की जांच में भी घोटाले की पुष्टि हुई थी. जांच में पाया गया कि कुछ लोगों ने फर्जी वंशावली, हुकुमनामा, लगान रसीद और जमाबंदी बनवाकर अधिग्रहण क्षेत्र के बाहर के व्यक्तियों को भूमि मालिक बनाकर न केवल मुआवजा लिया, बल्कि सीसीएल में नौकरी भी हासिल कर ली. जिला प्रशासन ने अपनी जांच में यह भी कहा है कि फर्जीवाड़ा करने में अंचलकर्मी और सीसीएल के कुछ अधिकारी भी शामिल थे. इसको लेकर टंडवा थाना में 22 लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फर्जीवाड़ा करने में अंचलकर्मी और सीसीएल के कुछ अधिकारी भी शामिल थे. 

 

गलत तरीके से प्राप्त की गयी मुआवजा राशि  

सीसीएल की अलग-अलग परियोजनाओं के तहत जमीन अधिग्रहण करने पर विस्थापित होने वाले ग्रामीणों को मुआवजा और नौकरी देने का प्रावधान है. लेकिन जांच में यह बात भी सामने आई है कि एक संगठित गिरोह ने फर्जी दस्तावेज, बनावटी हस्ताक्षर, और जाली रिपोर्टें बनाकर ना सिर्फ सरकार और सीसीएल को धोखा दिया, बल्कि स्थानीय विस्थापितों का भी हक मार लिया.  इस घोटाले में शामिल लोगों ने खुद को विस्थापित दिखाकर मुआवजा और नौकरी हासिल कर ली. इस पूरे मामले में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के लिखित बयान के आधार पर 22 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. इनमें सूरन भुइयां, सीमा भुइयां, सरिता देवी, बुधन भुइयां, गोपी भुइयां, पूनम कुमारी, मनोहर राम, इस्माइल अंसारी, इब्राहिम, रिज़वान, अनवर अंसारी, आफताब अंसारी, शगुफ्ता अंसारी, नुमान अंसारी सहित अन्य शामिल हैं.

 

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