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झोपड़ी से जेवरियन तक का सफर, स्कूल और कोचिंग दोनों में बना टॉपर, समाज ने बढ़ाया हौसला

Ranchi: मौलाना आजाद कॉलोनी की झोपड़ियों से निकलकर रांची के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर कॉलेज तक का सफर तय करना किसी सपने से कम नहीं, लेकिन इस सपने को हकीकत में बदलकर दिखाया है समीर शेख ने. 

 

एक ऑटो चालक का बेटा, जिसने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा से न सिर्फ अपने स्कूल असिस हाई स्कूल, लोवाडीह में 95% अंक प्राप्त कर टॉप किया, बल्कि कोचिंग संस्थान में भी सर्वोच्च स्थान हासिल कर यह साबित कर दिया कि जुनून और जज्बे के आगे कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती.

 

समीर का जीवन शुरू से ही संघर्षों से भरा रहा. एक छोटे से कच्चे घर में, सीमित संसाधनों और मुश्किल हालातों के बीच उसने पढ़ाई की. किताबें, टेबल, स्टडी लाइट कुछ भी स्थायी नहीं था, लेकिन उसका हौसला अडिग था.

 

जब सेंट जेवियर कॉलेज, रांची में इंटर साइंस में उसका नामांकन सुनिश्चित हुआ, तो आर्थिक तंगी उसके सपनों के रास्ते में दीवार बनकर खड़ी हो गई. एडमिशन की अंतिम तिथि निकल रही थी और फीस भरना मुश्किल था. ऐसे समय में समाज ने उसकी प्रतिभा की कद्र की.

 

फ्रेंड्स ऑफ विकर सोसाइटी ने आगे आकर न सिर्फ उसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई, बल्कि कॉलेज को सीधे 36,000 रुपया का चेक प्रदान कर उसका दाखिला भी सुनिश्चित करवाया.

 

संस्था के महासचिव जनाब कमर सिद्दीकी ने इस मौके पर कहा कि समीर जैसे छात्रों की सफलता हमें प्रेरणा देती है. हमारी कोशिश है कि समाज के हर कोने में छिपी प्रतिभा को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाए. समीर यह सिर्फ एक छात्र नहीं, उम्मीद की वो किरण है जो सैकड़ों बच्चों को आगे बढ़ने की राह दिखाएगा.

 

फ्रेंड्स ऑफ विकर सोसाइटी पिछले कई वर्षों से झारखंड के वंचित और जरूरतमंद छात्रों को स्कॉलरशिप, दाखिला सहायता और करियर गाइडेंस देती आ रही है. इससे पहले भी संस्था ने कई मेधावी विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित संस्थानों में दाखिला दिलाकर उनकी ज़िंदगी को नई दिशा दी है.

 

समीर की कहानी आज के युवाओं के लिए एक संदेश है कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता.

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