बेहतर इलाज नहीं मिलने के कारण डॉ सिराजुद्दीन की हुई मौत
Ranchi: अपने चिकित्सक साथी को खोने के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सभी चिकित्सकों में रोष है. रोष इस बात को लेकर है कि कोरोना काल में ड्यूटी करने के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर (चिकित्सक) कोरोना संक्रमित हुए और उनकी मौत हो गयी. लेकिन राज्य सरकार चिकित्सकों को मुआवजा राशि नहीं दे रही है. दरअसल रिम्स DTMH रेजीडेंट डॉ मोहम्मद सिराजुद्दीन का सोमवार को कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया.
सिराजुद्दीन का इलाज रांची के आलम अस्पताल में चल रहा था. स्थिति खराब होने के बाद ECMO मशीन की जरूरत थी. ये मशीन मेडिका अस्पताल में थी. परिवार के लोग अपनी जमीन तक गिरवी रख कर इलाज करवा रहे थे. लेकिन अंततः उनकी मौत हो गयी.
राज्य सरकार सिर्फ ट्विटर पर करती है घोषणा, जमीन पर कुछ नहीं
जेडीए के मीडिया प्रभारी डॉ विकास ने कहा कि सिराजुद्दीन अपने पीछे अपनी पत्नी और 3 बच्चे छोड़ गए हैं. उनके इलाज में आलम अस्पताल और मेडिका में जो भी खर्च हुआ है वह राज्य सरकार वहन करे. साथ ही उनके परिवार को मुआवजा राशि दे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य सरकार केवल प्रोत्साहन राशि की घोषणा करती है. लेकिन अब तक ना तो प्रोत्साहन राशि मिला और ना ही सातवें वेतन का बकाया एरियर का भुगतान किया गया. डॉ विकास ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार सिर्फ ट्विटर पर काम करती है धरातल पर काम नहीं नजर आता.
सीएम और स्वास्थ मंत्री सिर्फ बयान देने का करते हैं काम
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ अनीतेश गुप्ता ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों का शिकार डॉक्टर हो रहे हैं. हमलोगों को सिर्फ आश्वासन देने का काम राज्य सरकार कर रही है. ऐसी घटनाओं से हमारा मनोबल टूटता है. मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री सिर्फ बयान देते हैं उसे पूरा नहीं करते हैं.
JDA ने सरकार से की निम्नलिखित मांगें
- कोरोना से मरने पर फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए.
- कोरोना संक्रमित स्वास्थ्य कर्मी के इलाज का खर्च स्वास्थ्य बीमा द्वारा राज्य सरकार वाहन करे.
- कोरोना के इलाज में लगे डॉक्टरों को सप्ताह में 48 घंटे ही ड्यूटी दी जाए
- 40 से 50 फीसदी डॉक्टर और उनके परिवार के लोग आर्थिक तंगी से भी जूझ रहे हैं. इसलिए एरियर और प्रोत्साहन राशि जल्द दी जाए.
- रिम्स में ACMO मशीन की व्यवस्था की जाए.