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खड़गे का पीएम मोदी को पत्र, लोकसभा का उपाध्यक्ष न होना, लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं

New Delhi :  पिछली लोकसभा में कोई उपाध्यक्ष नहीं था और वर्तमान लोकसभा में भी कोई उपाध्यक्ष नहीं है.   यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है. यह संविधान के निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन भी है. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा है. जानकारी के अनुसार आखिरी बार 16वीं लोकसभा में अन्नाद्रमुक के नेता एम थंबीदुरई उपाध्यक्ष चुने गये थे. 

 

 

प्रधानमंत्री को लिखे गये अपने पत्र में श्री खड़गे ने कहा,  मैं लोकसभा में उपाध्यक्ष के खाली पद से जुड़े अत्यधिक चिंताजनक मामले को आपके ध्यान में लाने के लिए लिख रहा हूं.  भारत के संविधान का अनुच्छेद 93 लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों के चुनाव को अनिवार्य बनाता है.

 

कांग्रेस अध्यक्ष श्री    खड़गे ने कहा कि संवैधानिक रूप से अध्यक्ष के बाद उपाध्यक्ष सदन का दूसरा सबसे बड़ा पीठासीन अधिकारी होता है.  उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 93 में कहा गया है कि सदन जितनी जल्दी हो सके, किसी एक को उपाध्यक्ष चुनेगा. 

 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा कि परंपरागत रूप से उपाध्यक्ष का चुनाव नवगठित लोकसभा के दूसरे या तीसरे सत्र में किया जाता रहा है.  इस चुनाव की प्रक्रिया अध्यक्ष की प्रक्रिया को दर्शाती है. इसमें एकमात्र अंतर यह है कि लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 8(1) के अनुसार होता है, जबकि उपाध्यक्ष के चुनाव की तिथि अध्यक्ष द्वारा तय की जाती है. 

 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने याद दिलाया कि पहली से सोलहवीं लोकसभा तक प्रत्येक सदन में एक उपाध्यक्ष रहा है.  मुख्य विपक्षी दल के सदस्यों में से उपाध्यक्ष की नियुक्ति करना  स्थापित परंपरा रही है. स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यह पद लोकसभा के लगातार दो कार्यकाल में खाली रहा है.

 

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सत्रहवीं लोकसभा के दौरान कोई उपाध्यक्ष नहीं चुना गया. मौजूदा अठारहवीं लोकसभा में भी कोई उपाध्यक्ष नहीं है.  मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री से  अनुरोध किया कि सदन की सम्मानित परंपराओं और हमारी संसद के लोकतांत्रिक लोकाचार को ध्यान में रखते हुए आप बिना किसी विलंब के लोकसभा के उपाध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करें