बता दें कि गया मुंडा 1881 के सरदार आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाये थे. अंग्रेजों द्वारा आदिवासी जमीन गैर आदिवासी को देकर उन्हें जमीन से बेदखल किया जा रहा था. उसी दौरान गया मुंडा अपने साथी गारडीयन, जोहन और रासा मानकी के साथ मिल कर अपनी लड़ाई लड़े. दूसरी तरफ 1895 में बिरसा मुंडा आदिवासी समाज और परंपरा को बचाने के लिये लोगों को एकजुट कर रहे थे. बिरसा मुंडा के सिद्धांतों से प्रभावित होकर सरदार आंदोलन से जुड़ गये. मुंडा सहित अन्य सदस्य बिरसा मुंडा के साथ हो गये और उलगुलान आंदोलन को तेज किया. इसी दरम्यान 2 फरवरी 1895 को बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. दो साल जेल में रहने के बाद 30 अक्तूबर 1897 को रिहा हो कर बाहर निकले. तब तक बिरसा मुंडा के अनुयायियों का विशाल बिरसाईत सेना तैयार हो चुकी थी. 1899 में अंग्रेजों के द्वारा संचालित बुरजू और सरवदा चर्च सहित हर छोटे बड़े चर्च में एक साथ तीर धनुष से हमला किया गया. 5 जनवरी 1900 में एटकेडीह गांव में बिरसाईतों का एक बडा मीटिंग चल रहा था. जिसकी खबर अंग्रेजों को लग गयी. गया मुंडा को पकड़ने के लिये सायको होकर सिपाही जैसे ही एटकेडीह घुस रही थी कि बिरसाईतों ने दो सिपाही जयराम और बुंडू को मार दिया. इसे भी पढ़ें- भारत">https://lagatar.in/bharat-biotech-told-do-not-feed-paracetamol-and-painkiller-to-children-after-taking-vaccine/">भारत
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अंग्रेजों ने गया मुंडा के घर को घेर लिया
इस घटना से अंग्रेज तिलमिला गये और स्टीड फील्ड, रोसे, इल्ताफुसिन और मारिया के नेतृत्व में गया मुंडा के घर को घेर लिया. घर को आग लगा दिया. जैसे ही गया मुंडा घर से निकले तो पहले गोली मारी और गिरफ्तार कर लिया. इससे आक्रोशित बिरसाईतों का आंदोलन इतना विकराल रूप ले लिया था कि 7 जनवरी को खूंटी में धावा बोल कर एक सिपाही रघुनाथ को मार दिया. उसके बाद 9 जनवरी को डोंबारी बुरू में हजारों की संख्या में बिरसाईत इकट्ठा होकर अंग्रेजों के खिलाफ रणनीति बना रहे थे. जिसकी सूचना अंग्रेजों को मिल गयी और डोंबारी बुरू पहाड़ी को चारों ओर से घेर कर बैठक कर रहे हजारों महिला पुरूष और बच्चों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दिया. जिसमें सैकड़ों बिरसाईत शहीद हो गये. उसी आजादी के इस दीवाने अंग्रेजी सत्ता और आदिवासियों को जमीन से बेदखल करने वाले सेठ और साहूकारों के खिलाफ लड़ते हुए सपरिवार कुर्बानी दी थी. आज उनकी शहादत दिवस के मौके पर उनके गांव में उन्हे याद कर उन्हे श्रद्धांजलि दी गई. इसे भी पढ़ें- रांची">https://lagatar.in/ranchi-registrar-avinash-kumar-did-the-registry-of-cnt-land-by-ignoring-the-rules-after-investigation-the-commissioner-gave-instructions-to-constitute-a-charge-sheet/">रांची: तत्कालीन रजिस्ट्रार अविनाश कुमार ने नियमों को ताक पर रख CNT भूमि की कर दी रजिस्ट्री, जांच के बाद कमिश्नर ने दिया आरोप पत्र गठित करने का निर्देश [wpse_comments_template]

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