Kiriburu (Shailesh Singh) : नोवामुंडी क्षेत्र के ग्रामीणों को टाटा स्टील की नोवामुंडी अस्पताल में मिल रही चिकित्सा सुविधा की तरह ही बड़ाजामदा क्षेत्र के लोगों को उपलब्ध कराने की मांग अब तेज होने लगी है. उल्लेखनीय है कि टाटा स्टील की नोवामुंडी खदान प्रबंधन अपने सीएसआर क्षेत्र के लोगों को नोवामुंडी अस्पताल में न्यूनतम दर पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराती है. इसके अलावा सेल की किरीबुरू, मेघाहातुबुरु, गुवा व चिड़िया खदान प्रबंधन अपने-अपने सीएसआर क्षेत्र के मरीजों को सेल अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते आ रही है. इसी को देखते हुये अब बड़ाजामदा क्षेत्र के लोग भी टाटा स्टील से अपने लिये यह सुविधा की मांग कर रहे हैं.
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बड़ाजामदा क्षेत्र के लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना कंपनी प्रबंधन का दायित्व
बड़ाजामदा क्षेत्र के लोगों का कहना है कि बराईबुरु स्थित टाटा स्टील की टीएसएलपीएल खदान वर्षों से संचालित है. इस खदान के परिधि व सीएसआर क्षेत्र अंतर्गत बराईबुरु, टाटीबा, बोकना, बड़ाजामदा आदि गांव भी आता है. बड़ाजामदा होकर टीएसएलपीएल खदान से लौह अयस्क का परिवहन होता है. परिवहन की वजह से उड़ने वाले धूल कण से लोग विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होते हैं. ऐसी स्थिति में उक्त कंपनी प्रबंधन का दायित्व है कि वह नोवामुंडी के तर्ज पर बड़ाजामदा क्षेत्र के लोगों को भी नोवामुंडी अस्पताल में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराये.
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बड़ाजामदा क्षेत्र से तमाम खदान प्रबंधने प्रतिवर्ष अरबों रुपये का लाभ कर रही प्राप्त : अरविन्द चौरसिया
माइनिंग एरिया ट्रक ओनर एसोसिएशन बड़ाजामदा के अध्यक्ष अरविन्द चौरसिया ने लगातार न्यूज से बातचीत में कहा कि बड़ाजामदा क्षेत्र से अब तक तमाम खदान प्रबंधने लौह अयस्क के कारोबार से प्रतिवर्ष अरबों रुपये का लाभ प्राप्त कर रही है. यहां के लाभ से वह बडे़ शहरों को तमाम प्रकार की सुविधाओं से लैश कर रही है. लेकिन खनन प्रभावित क्षेत्र के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है. अर्थात यहां चिराग तले अंधेरा वाला कहावत चरितार्थ हो रहा है. डीएमएफटी फंड में हजारों-करोड़ों रुपये जमा होने के बावजूद एक बेहतर अस्पताल लौहांचल में नहीं होना दुर्भाग्य की बात है. ऐसे में यहां के गरीब इलाज हेतु जाये तो जाये कहां.
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जनता की सहभागिता से और उग्र किया जायेगा आंदोलन
उन्होंने कहा कि उनकी संगठन ने इस मामले को लेकर टाटा स्टील से लड़ाई प्रारम्भ कर दी है. कई बार चिकित्सा सुविधा हेतु आवेदन दिया गया व माल ढुलाई को ठप किया गया. अब आने वाले दिनों में यह आंदोलन जनता की सहभागिता से और उग्र किया जायेगा. खदान प्रबंधनें डीएमएफटी फंड में जब पैसा दे रही है तो उसकी भी जिम्मेदारी है कि वह जिला प्रशासन से बात कर अपने-अपने क्षेत्र की जनता से जुड़ी बुनियादी समस्याओं के समाधान हेतु योजनाएं धरातल पर उतरवाये. क्योंकि यह पैसा खदान से प्रभावित गांवों व लोगों के विकास पर ही खर्च होना है, जो नहीं हो रहा है. इसके लिये प्रबंधन, प्रशासन व जनप्रतिनिधि सभी जिम्मेदार हैं.
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