- लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई
Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के कलैता गांव में दो घरों को तोड़ने व भारी तबाही मचाने के बाद हिंसक बनी दतैल हाथी ने किरीबुरु टाउनशिप की तरफ अपना रूख किया है. उक्त हाथी को सेल की किरीबुरु-मेघाहातुबुरु खदान की मैगजीन हाउस की सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ जवानों ने 18 फरवरी की दोपहर लगभग डेढ़ बजे काफी करीब से देखा. उक्त हाथी अकेले मैगजीन हाउस के करीब जंगल से किरीबुरु शहर के न्यू कैंप, मुर्गापाडा़ क्षेत्र की ओर बढ़ रहा था.
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ऐसी संभावना जताई जा रही है कि आज रात पुनः यह हाथी किरीबुरु टाउनशिप, न्यू कैम्प, मुर्गापाडा़ अथवा हिल्टौप आवासीय क्षेत्र में घुसकर पुनः भारी उत्पात मचा सकता है. सीआईएसएफ ने वन विभाग व लोगों को इस हाथी से सतर्क रहने की अपील की है. दूसरी तरफ वन विभाग की टीम भी इस हाथी को आवासीय क्षेत्रों से सुरक्षित घने वन क्षेत्रों में भेजने हेतु निरंतर प्रयास कर रही है. वन विभाग की टीम सारंडा जंगल में कलैता गांव क्षेत्र में है।
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किसान बहुरंगी फूलगोभी, पत्तागोभी की खेती कर बन रहे आत्मनिर्भर
- टीएसएफ के प्रयास से नोवामुंडी व जगन्नाथपुर प्रखंड में हो रही खेती
Kiriburu (Shailesh Singh) : टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) के कृषि विभाग ने प्रायोगिक आधार पर बहुरंगीन फूलगोभी और पत्तागोभी उगाने में सफलता हासिल कर सैकड़ों किसानों को इस खेती से जोड़ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया. लोग हाल में नोवामुण्डी और जगन्नाथपुर प्रखंड के स्थानीय हाट-बाजारों में कुछ ऐसी चीज देखी है जो फूलगोभी और पत्तागोभी की तरह दिखती हैं, लेकिन पारंपरिक सफ़ेद के बजाए नारंगी, पीली, बैंगनी, गुलाबी रंग की होती हैं. बहुरंगी फूलगोभी पिछले साल से नोवामुण्डी और जगन्नाथपुर प्रखंड के बाजारों मे आ रही हैं और तेज़ी से लोकप्रिय और आसानी से उपलब्ध हो गई हैं. आप लोग सोचते होंगे ये कौन सी रंग बिरंगी फूलगोभी हैं ! उनका स्वाद कैसा हैं ! उन्हें कैसे तैयार करे ! असली हैं या नक़ली!
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इन दिनों पूरे विश्व भर में किसान सब्जियों की नई– नई किस्मों पर प्रयोग कर रहे हैं, इस मामले में हमारे नोवामुण्डी के किसान भी पीछे नहीं हैं. अब तक हमने ब्रोकोली को रंगीन फूलगोभी के रूप में देखा और खाया है. लेकिन अब नोवामुण्डी और जगन्नाथपुर प्रखंड में किसान बहुरंगीन फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती भी कर रहे हैं. किसान पारंपरिक रूप से सर्दियों में सफेद फूलगोभी और पत्तागोभी उगाते थे, लेकिन इस वर्ष उनमें से कुछ किसानों की सहायता से नोवामुण्डी क्षेत्र में पहली बार टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) के कृषि विभाग ने प्रायोगिक आधार पर बहुरंगी फूलगोभी और पत्तागोभी उगाने में सफलता हासिल की है.
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ये फूलगोभी पारंपरिक फूलगोभी की तरह ही क्रूसीफेरस या गोभी परिवार से संबंधित है. जैसा कि केरोटेना (नारंगी-पीला), वेलेंटेना (बैंगनी) और रेड बॉल पत्तागोभी (लाल) पौधे प्रजानको द्वारा प्राकृतिक रूप से विकसित किए गए हैं. उनकी बनावट और स्वाद एक समान है, हल्का मीठा और पौष्टिक. मुख्य अंतर उनके रंग का हैं और रंग के साथ पोषण मूल्य में थोड़ा अंतर होता है.
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टीएसएफ कार्यालय नोवामुण्डी के सूत्रों अनुसार, नोवामुण्डी प्रखंड के 9 पंचायत और जगन्नाथपुर प्रखंड के 2 पंचायत के कुल 100 किसानों को रंगीन फूलगोभी की खेती के लिए आवश्यक बीज, कीटनाशक और प्रशिक्षण प्रदान की गई. किसानों का कहना है शुरुआती दौर में उन्हें स्थानीय बाजारों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. ये आकर्षित रंगीन फूलगोभी लोगों को आकर्षित तो कर रही थी लेकिन उनके मन अनेक सवाल भी उमड़ रही थी. जिस कारण खरीदार खरीदने से झिझक रहे थे.
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नोवामुण्डी बस्ती के रहने वाले किसान पांडु सुरेन का कहना है कि जब पहली बार वो स्थानीय बाजार में लाल पत्तागोभी लेकर गए थे तो खरीदार नया किस्म देखकर बस सवाल करने आते थे कि ये किस प्रकार का गोभी हैं, इसमें कोई रासायनिक दावा के प्रक्रिया से आपने लाल रंग किया है या प्राकृतिक रूप से उगाए गए हैं. इस कारण से बाजार में कोई भी लाल गोभी के लिए उचित दाम नहीं देना चाहते थे. इसलिए मैंने 20 रुपए में प्रत्येक फसल को बेच दिया. खरीदारों का कहना था उन्हें सफ़ेद पत्तागोभी चाहिए किंतु बाद में इसे खाने के बाद लोगों ने पसंद किया.
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टीएसएफ के समर्थन से दुधबिला ग्राम की सब्जी उत्पादक तुलसी चातोंबा ने जैविक विधि से 110 पीली फूलगोभी और ब्रोकोली किस्मों की खेती छोटे पैमाने में खेती कर के अच्छी पैदावार प्राप्त की. उन्होंने कहा कि बाजार में बस पहुंचने की देरी रहती थी की मेरी पीली फूलगोभी ख़त्म हो जाती थी. मैंने 30– 50 रुपए प्रति गोभी बेचा जिससे मैंने 4400 रुपए कमाए. लोगों ने काफी पसंद किया पीला फूलगोभी को. बाजार में इसकी काफी मांग है इसलिए मैं चाहती हूं कि अगले सीज़न में मुझे पीला और बैंगनी फूलगोभी और लाल पत्तागोभी का बीज चाहिए जिसे मैं बड़े पैमाने में खेती करना चाहती हूं.
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वही पदमपुर के किसान दीदियों ने कहा कि उन्होंने पहली बार पीला और बैंगनी रंग का फूलगोभी देखा, मन में थोड़ा सा डर था कि लोग खरीदेंगे या नहीं, कहीं हमारी मेहनत बरबाद न हो जाए इसलिए हमने छोटे पैमाने में खेती की, लेकिन जब फ़सल तैयार होने के बाद हमने गांव में 30 रु करके बेचा, और गांव वालों को खूब पसंद भी आया. इसलिए हम चाहते हैं कि आने वाले वर्ष में हम इस फ़सल का बड़े पैमाने में खेती करना चाहते हैं. अब किसानों का कहना है कि फ़सल की आकर्षक किस्म न केवल स्थानीय बाजारों में बिक रही हैं, बल्कि खरीदार इसे सीधे खेतों से भी इकट्ठा कर रहे हैं.
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टीएसएफ़ से जानकारी दी गई कि किसानों ने अपने खेतों में बैंगनी और पीले फूलगोभी और लाल पत्तागोभी जो प्रायोगिक आधार पर उगाई हैं, वो पारंपरिक फूलगोभी और पत्तागोभी की तरह ही हैं, लेकिन यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है. इस फूलगोभी और पत्तागोभी की खेती के लिए ठंडी और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. इसकी खेती के लिए 15 से 25 डिग्री तक का तापमान होना चाहिए. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त माना जाता है. इसकी बुवाई का सही समय सितंबर से अक्टूबर महीना होता है. फूलगोभी 70– 80 दिन में तैयार हो जाती हैं लेकिन पत्तागोभी 90–120 दिन में तैयार हो जाती हैं. इसकी खेती की अन्य प्रक्रिया सामान्य गोभी की खेती की तरह ही की जाती हैं. विशेषज्ञों ने कहा कि वैलेंटेना का बैंगनी रंग इसमें एंथोसायनिन की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण, जो एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला फाइटोकेमिकल है जो अन्य लाल, नीले या बैंगनी फलों जैसे जामुन, करंट, अंगूर और कुछ उष्णकटिबंधीय फलों में भी पाया जाता है.
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लाल पत्तागोभी मे भी एंथोसायनिन नामक फाइटोकेमिकल पाया जाता है जिस कारण इस गोभी का रंग बैंगनी/लाल दिखता हैं. कैरोटिना, जिसे चेडर फूलगोभी के रूप से भी जाना जाता है, का रंग नारंगी-पीला होता है और इसमें बीटा – कैरोटीन नामक फाइटोकेमिकल होता है जो विटामिन ए का अग्रदूत होता है. यह अन्य लाल, पीली, नारंगी और हरी सब्जी और फल जैसे कि टमाटर, गाजर, पालक, सकरकंद, ब्रोकोली, आम, इत्यादि में पाई जाती हैं. लाल पत्तागोभी में भरपूर मात्रा में विटामिन ‘बी’, सी’ और विटामिन ‘के’ पाया जाता है और यह विटामिन ‘बी 6’ का एक मध्यम स्रोत हैं. यह लाल पत्तागोभी आहार फाइबर, अच्छी गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम और अन्य आवश्यक खनिजों का पावरहाउस है. लाल पत्तागोभी का सेवन करने से कैंसर और हृदय रोगों के खतरे को कम करता है. इसके अलावा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, रक्तचाप को बनाए रखता है, पाचन के लिए बढ़िया है, त्वचा के लिए अच्छा है, हड्डियो और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, इत्यादि.
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पीली और बैंगनी फूलगोभी पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं. इसमें विटामिन ए एवं सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं. इस फूलगोभी मे कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, और जिंक होता है जिससे हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं. ब्रोकोली की तरह रंगीन फूलगोभी का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह सफेद गोभी की तुलना में ज्यादा स्वादिष्ट है और इसमें अधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसके अलावा इसमें फाइटोकेमिकल, पॉलीफेनॉल, क्वेरसेटिन और गुलकोसाइड जैसे पोषक तत्वों पाए जाते हैं, जो मधुमेह को भी नियंत्रित करता है. यह फूलगोभी आंखों और हृदय के लिए काफी फायदेमंद है और साथ में बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित हुआ है.
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चाईबासा : मास्टर्स एथलेटिक्स में जनेन सावैयां ने जीता कांस्य
Chaibasa (Sukesh kumar) : झींकपानी प्रखंड के रघुनाथपुर गांव के उलीबासा टोले के रहनेवाले जनेन सावैयां ने 44वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर झारखंड का नाम रोशन किया है. उन्होंने ये पदक चैंपियनशिप की ऊंची कूद स्पर्धा में जीता है. यह चैंपियनशिप महाराष्ट्र के पुणे में छत्रपति शिवाजी स्पोर्ट्स कांप्लैक्स बालेवादी स्टेडियम में मास्टर्स एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किया गया था. जनेन सावैयां ने यह उपलब्धि झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए थर्टी प्लस आयु वर्ग में भाग लेकर हासिल की है. जनेन सावैयां फिलहाल टाटा स्टील नोवामुंडी में फोयनिक्स इंजीनियरिंग कांट्रैक्टर इलेक्ट्रिकल सुपरवाईजर के पद पर कार्यरत है.
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इधर, सांसद प्रतिनिधि (खेलकूद तथा युवा कार्य) विश्वनाथ तामसोय ने इस उपलब्धि पर उनको बधाई दी है और एथलेटिक्स में ऐसे ही पदक जीतते रहने की शुभकामनाएं भी दी. वहीं जिला एथलेटिक्स एसोसिएशन के मास्टर कोच विजय बाड़ा ने भी बधाई दी है और कहा है कि उन्होंने पदक जीतकर झारखंड का मान बढ़ाया है. नेशनल स्तर पर पदक जीतना गर्व की बात है. मालूम हो कि रघुनाथपुर वही गांव है जहां ओलंपियन तीरंदाज माझी सावैयां जैसे धाकड़ धनुर्धर पैदा हुए और 2004 में अभावों के बीच एथेंस ओलंपिक में भाग लिया था.
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चाईबासा : सरस्वती विसर्जन जुलूस में विवाहिता से दुर्व्यवहार का आरोप
- पीड़िता ने की पांच युवकों के खिलाफ एससी/एससी थाने में लिखित शिकायत
Chaibasa (Sukesh kumar) : कुमारडुंगी थाना अंतर्गत दिकू बलकांड निवासी 22 वर्षीया विवाहित शम्पा नायक (पति नारायण नायक) ने गांव के ही पांच युवकों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए एससी/एसटी (अत्याचार निरोधक) एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की है. इस संबंध में पीड़िता ने रविवार को अपने सहयोगी ग्रामीणों के साथ एससी/एसटी थाना सदर चाईबासा पहुंची और प्राथमिकी दर्ज कराने के लिये थाने में आवेदन सौंपा. आवेदन में पीड़िता ने शिकायत की है कि दिकू बलकांड में 17 फरवरी 2024 की शाम करीब साढ़े सात बजे सरस्वती पूजा का विसर्जन जुलूस निकाला जा रहा था. इसी दौरान जुलूस में शामिल पांच युवकों ने उनको ना केवल जाति सूचक गाली दी, बल्कि उनके साथ मारपीट भी की.
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दुर्व्यवहार करनेवालों की संख्या पांच थी जिनमें विकास बारिक (25), मुन्ना बारिक(26), त्रिलोचन बारिक(32), वनमाली बारिक(27) व श्याम सुंदर बारिक(32) के नाम शामिल हैं. पीड़िता के मुताबिक इन लोगों ने गांव के भुईयां टोली में आकर अन्य महिलाओं तथा बुजुर्गों के साथ भी गाली-गलौज करते हुए मारपीट की. आरोपियों ने उनके ससुर साधु नायक की गला भी दबाया था और गंदी-गंदी गालियां भी दी. जब उन्होंने बहन प्रमिला नायक के साथ इसका विरोध किया तो उनकी भी पिटाई कर दी गयी. उनके चाचा ससुर अंगद नायक और उसके बेटे शिव शंकर नायक को भी पीटा गया.
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पीड़िता का कहना है कि इस घटना के बाद गांव में भय का माहौल है और ग्रामीण डरे-सहमे हुए हैं. पीड़िता ने खुदको एससी का सदस्य बताते हुए सारे आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की है. थाने में इस दौरान पीड़िता शम्पा नायक के साथ भुइंया समाज के जिलाध्यक्ष महावीर नायक, अंगद नायक, साधु नायक, शिवशंकर नायक, अरूण नायक, प्रमिला नायक, सुकांति देवी, लक्ष्मी नायक, पार्वती नायक, फूलेश्वर देवी, राजेश भुईयां, कार्तिक नायक, मनोज नायक, विशु नायक आदि मौजूद थे.
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