Koderma: जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर बसा दोमुहानी धाम का विशेष महत्व है. इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां आने वाले लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है. कई लोग मंदिर में धरना भी देते हैं. वह तब तक मंदिर में ही पड़े रहते हैं जब तक उनकी मनोकामना पूर्ण नहीं हो जाती है.
50 वर्ष पूराना है मंदिर
बता दें कि यहां प्रतिष्ठित शिव और पार्वती की मूर्ति अपने आप निकली थी. जिसे प्रतिष्ठित कर दिया गया और यहां भव्य मंदिर बना दिया गया. इसके बाद से धीरे-धीरे यह मंदिर प्रसिद्ध होता गया. यह मंदिर लगभग 50 वर्ष पूराना है. मंदिर के सिद्धेश्वर पंडित ने बताया कि दो नदियों के मिलन स्थल पर बसे इस मंदिर को दोमुहानी धाम के नाम से जाना जाता है. यहां पहुंचने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. बताया कि श्रावण मास में महीने भर यहां अखंड कीर्तन होता है.
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पूजा करने आए एक भक्त ने बताया कि पिछले कई वर्षों से हमलोग इस मंदिर के बारे में सुनते आ रहे हैं, लेकिन आज पहली बार दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ. यहां आने के बाद मुझे काफी संतुष्टि मिली. मैं लोगों को भी कहूंगा कि आप भी यहां आएं और दर्शन करें. उन्होंने कहा कि इस शिवलिंग का प्रतीकात्मक रूप उज्जैन महाकालेश्वर से मिलता जुलता है. जो पूरे झारखंड में कहीं और नहीं है. यहां पर भगवान शिव साक्षात विराजते हैं, जो भक्तों की मनोकामना को पूरी करते हैं.
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