Koderma : जिले के जयनगर प्रखंड के तिलोकरी गांव के बराकर नदी में करीब तीन साल पहले 17 करोड़ की लागत से इंटेक वेल (चूंआ) बनाया गया था. तिलोकरी ग्रामीण जलापूर्ति योजना का उद्देश्य 17 गांव के लोगों को पानी की दिक्कतों से निजात दिलाना था. लेकिन इंटेक वेल शोभा मात्र रह गया है. क्योंकि इस इंटेक वेल का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है.
खानापूर्ति के लिए बना दिया गया इंटेक वेल
बता दें कि इंटक वेल को नदी के बीच में नहीं बनाकर नदी के किनारे बना दिया गया. आमतौर पर इंटेक वेल को नदी के बीचो-बीच बनाया जाता है. लेकिन यहां केवल खानापूर्ति के लिए जैसे-तैसे नदी के किनारे पर ही बना दिया गया. जिसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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ठेकेदारों ने कम लागत पर नदी के किनारे बना दिया इंटेक वेल
बता दें कि इंटेक वेल की योजना लाने वाले पूर्व विश्व सूत्री अध्यक्ष बीरेंद्र मोदी ने बताया कि ठेकेदारों मे मनमानी तरीके से इंटेक वेल को बना दिया. ठेकेदारों ने अपने सुविधा के अनुसार इसे नदी के बीचो-बीच ना बनाकर नदी के किनारे बना दिया. अगर ठिकेदार नदी के बीच में इंटेक वेल बनाते तो इसे ज्यादा डीप बनाना पड़ता. इसमें खर्च भी ज्यादा होता. इसलिए इसे मिट्टी में ही बना दिया गया. ताकि कम समय और कम लागत में इंटेक वेल बन सके. मालूम हो कि मिट्टी में इंटेक वेल बनने के कारण पानी में मिट्टी घुल जाता है. जिसकी वजह से पानी निकासी होने में काफी दिक्कत होती है.
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इंजीनियर और ठेकेदार की है मिलीभगत मिट्टी में बना दिया गया इंटेक वेल
जनप्रतिनिधि केदार यादव ने कहा कि 17 करोड़ की लागत से बना इंटेक वेल को नदी के बीचो-बीच बनना था. इससे चारों तरफ से पानी इंटेक वेल में आकर जमा होता. इसका लाभ ग्रामीणों को मिलता. लेकिन इंजीनियर और ठेकेदार की मिलीभगत से इंटेक वेल को मिट्टी में बना दिया गया.
शिकायत के बाद भी समस्या का नहीं हुआ समाधान
केदार यादव ने बताया कि मिट्टी में इंटेक वेल बनने के कारण जेसीबी से मिट्टी हटाकर पानी लाया जाता है. इसके कारण आधा से एक घंटा तक पानी आता है और फिर बंद हो जाता है. हालांकि इंटेक वेल में पानी किसी भी समय बंद नहीं होनी चाहिए. इसके सुधार के लिए विधायक, सांसद और डीसी को लेटर लिखकर शिकायत की गयी थी. इसके बाद टीम जांच के लिए आयी थी. लेकिन अभी तक इस समस्या का सामाधान नहीं हुआ.
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