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भाषा विवाद: भानु ने लगाया राज्य सरकार पर भेदभाव का आरोप, राज्यपाल से की शिकायत

Ranchi: पूर्व मंत्री भानु प्रताप शाही ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. उनका कहना है कि सरकार पलामू प्रमंडल में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में मगही और भोजपुरी भाषा को शामिल नहीं करके भेदभाव कर रही है. इसके बजाय कुड़ुख और नागपुरी भाषा को शामिल किया गया है, जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं.

 

 

राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन : भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल संतोष गंगवार से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य सरकार पलामू डिवीजन में क्षेत्रीय भाषा के नाम पर भेदभाव कर रही है और राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रसित है.

 

 

पलामू प्रमंडल के तीन जिलों का भविष्य खतरे में : भानु प्रताप शाही ने कहा कि पलामू प्रमंडल के तीन जिलों गढ़वा, पलामू और लातेहार में 50 लाख जनता और उनके बच्चों का भविष्य खतरे में है. उन्होंने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने मगही और भोजपुरी को भाषा सूची से हटाने का काम किया है, जबकि ये सदियों से बोलचाल की भाषा रही हैं.

 

 

सरकार की दोहरी नीति पर सवाल : भाजपा नेता ने सरकार की दोहरी नीति पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि सरकार ओड़िया, बंगाली और उर्दू को भाषा सूची में जोड़ रही है, लेकिन मगही और भोजपुरी को शामिल नहीं कर रही है. उन्होंने राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की है कि वह पलामू डिवीजन के लिए भोजपुरी और मगही को भाषा सूची में जोड़ें.