"नागपुरी फिल्म नासूर ने नागपुरी फिल्म जगत में रचा इतिहास"
alt="" width="600" height="400" /> बातचीत के दौरान मनोज कुमार प्रेमी ने बताया कि लंबे संघर्ष के बाद उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है. गाने- बजाने का उन्हें शुरू से शौक था. साल 1993 में उन्होंने लातेहार में एक आर्केस्ट्रा ग्रुप ज्वाइन किया जिसके निदेशक आशीष थे. बाद में कुछ करने की ललक लिए वह रांची चले गये. यहां उन्होंने खुद का अपना एक वैल केंटो म्यूजिकल स्टूडियो खोला. वे खुद गीत लिखते थे और उसकी रिकॉर्डिंग भी करते थे. उन्होंने कई नागपुरी व हिंदी एलबम तैयार किये. उसके बाद फिल्म नासूर में उन्हें काम करने का मौका मिला. पहले तो इस फिल्म को किसी भी सिनेमा हॉल ने लगाने से मना कर दिया. लेकिन जब फिल्म लगी तो नागपुरी फिल्म जगत में इतिहास रच दिया.
झारखंड सरकार से की संसाधन मुहैया कराने की अपील
मनोज कुमार ने झारखंड सरकार से फिल्म निर्माताओं को संसाधन मुहैया कराने और फिल्म निर्माण व प्रदर्शन में सब्सिडी देने की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि झारखंड में स्थानीय भाषा में काफी फिल्में बन सकती हैं. झारखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है. सरकार को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है. इसे भी पढ़ें-गठबंधन">https://lagatar.in/alliance-or-pappus-marriage-after-every-round-an-uncle-is-angry-babulal-marandi/">गठबंधनहै या पप्पू की शादी, हर फेरे के बाद एक फूफा नाराज- बाबूलाल मरांडी [wpse_comments_template]
Leave a Comment