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बचपन में ही मां-बाप का छूटा साया, भैया ने पहुंचाया अखाड़ा

Ranchi: झारखंड में खेल प्रेमियों की कमी नहीं है. अंधकारमय जीवन से उजाले का सपना संजोकर रखने वाले उमेश मंडल के सिर पर हाथ रखने वाला कोई नहीं है. उनके जीवन में न मां हैं, न पिता. इसके बावजूद सिल्ली कॉलेज, सिल्ली के इतिहास विभाग के तीसरे सेमेस्टर के छात्र उमेश मंडल ने हरियाणा से मेडल जीतकर लाया है. इसके लिए उन्हें रांची विश्वविद्यालय में राज्यपाल के हाथों से उत्कृष्ठ सम्मान प्राप्त हुआ. इस दौरान उमेश मंडल ने कहा कि मेरे माता-पिता नहीं हैं. मेरे भाई प्राइवेट नौकरी और खेती-बाड़ी करते हैं. इसी से घर का गुजारा होता है.

2016 में बिरसा मुंडा आर्चरी एकेडमी से लिया प्रशिक्षण

20 साल के युवा आर्चरी खिलाड़ी उमेश मंडल ने महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, ओडिशा, कोलकाता समेत अन्य राज्यों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और कई मेडल भी जीते हैं. इन मेडल्स से मिलने वाली राशि से वह अपनी पढ़ाई का खर्च निकालते हैं. फिलहाल, वह सिल्ली कॉलेज, सिल्ली से इतिहास की पढ़ाई कर रहे हैं. उनके पिता सत्यनारायण मंडल का निधन 2004 में हो गया था, और इसके बाद उनकी मां भी गुजर गईं.

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाला वर्ल्ड कप खेलना चाहता है

खिलाड़ी उमेश मंडल ने बताया कि उन्होंने अपनी मैट्रिक की पढ़ाई सिल्ली ग्राम विकास और इंटरमीडिएट की पढ़ाई एसएस हाईस्कूल से की है. 2016 से वह आर्चरी कोच प्रकाश राम और शिशिर महतो से आर्चरी का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पैसा नहीं होने के कारण भविष्य अंधकारमय लगता है, लेकिन अगर सरकार का साथ मिला, तो मैं आर्चरी से वर्ल्ड कप खेलकर देश का नाम रोशन करना चाहता हूं. इसे भी पढ़ें – अवैध">https://lagatar.in/foreign-minister-said-in-rajya-sabha-the-issue-of-deporting-illegal-immigrants-is-not-new-747-were-sent-in-2009/">अवैध

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