- सरकार CBI के FIR में आरोपियों का समर्थन नहीं कर सकती: सुप्रीम कोर्ट
Ranchi : साहिबगंज के नींबू पहाड़ में अदालत के आदेश पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की थी. लेकिन पुलिस के अधिकारी अवैध खनन की जांच नहीं कर रहे थे, बल्कि याचिकादाता के मोबाइल फोन की जांच करते रहे. नींबू पहाड़ में अवैध खनन के मामले में सीबीआई जांच को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में यह बात सामने आयी.
याचिका खारिज कर कोर्ट ने कही है ये बात
न्यायाधीश संजय कुमार और न्यायाधीश आलोक अराधे ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा SLP दायर करना समझ से परे है. दस्तावेज से पता चलता है कि हाईकोर्ट द्वारा Writ Petition 1229/23 से पहले 665/2022 में आदेश पारित किया जा चुका है. हाईकोर्ट के इस आदेश से पता चलता है कि विजय हांसदा को मूल याचिका वापस लेने के लिए दवाब डाला जा रहा था. लेकिन हाईकोर्ट ने ऐसा करने की अनुमति नहीं दी.
हाईकोर्ट के आदेश से यह भी पता चलता है कि विजय हांसदा ने अपनी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए न्यायालय के सहारा लिया था. न्यायिक दंडाधिकारी ने सात जुलाई 2022 को अवैध खनन के आरोपों के मद्देनजर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था.
लेकिन न्यायालय के इस आदेश के बावजूद पुलिस ने 1-12-2022 को प्राथमिकी दर्ज की. हाईकोर्ट में हांसदा की याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया गया कि पुलिस ने अवैध खनन की जांच नहीं की. वह सिर्फ याचिकादाता के मोबाइन फोन की जांच करती रही.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हाईकोर्ट ने पाया कि जब इस तरह के मामले कोर्ट के सामने आते हैं तो आम लोग निष्पक्ष जांच की उम्मीद करते हैं. इसलिए हाईकोर्ट ने सीबीआई को याचिकादाता द्वारा याचिका वापस लेने के मामले में उसकी (विजय हांसदा) की भूमिका के अलावा अभियुक्तों की भूमिका की प्रारंभिक जांच का आदेश दिया.
प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों का आधार पर सीबीआई ने नियमित प्राथमिकी दर्ज की. सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी से पीड़ित राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में Writ Petition 1229/23 दायर किया. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी.
इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा है कि सीबीआई द्वारा दर्ज की गयी इस प्राथमिकी के अवैध खनन के अभियुक्तों का समर्थन नहीं कर सकती है. मामले में हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में राज्य सरकार सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जारी जांच का विरोध नहीं कर सकती है. न्यायालय ने अपने फैसले में इन तथ्यों का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी है. साथ ही मामले में पहले लगायी गयी रोक को हटा दिया है.
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