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बारिश संग बही भक्ति की गंगा, मौसीबाड़ी से मुख्य मंदिर लौटे भगवान जगन्नाथ

Ranchi :   बड़कागढ़, जगन्नाथपुर में रविवार को श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिला. भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और माता सुभद्रा के साथ मौसीबाड़ी में नौ दिन प्रवास पूर्ण कर जयघोषों और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मुख्य मंदिर में लौट आए. 

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बारिश भी न रोक सकी भक्तों की आस्था

धुरती रथ यात्रा के दौरान आकाश से झरती बूंदों और धरती से उठते 'जय जगन्नाथ' के जयघोष ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया. बारिश में भींगते भक्तों की आंखें भक्ति से सराबोर थीं और हाथों में बंधी रस्सियों के साथ ईश्वर से जुड़ने का भाव उनके चेहरे पर स्पष्ट झलक रहा था. मानों भक्त और भगवान एक ही सूत्र में बंध गए हों. बारिश की बूंदें जैसे आशीर्वाद बनकर हर भक्त को भिगो रही थीं, लेकिन आस्था की ज्वाला को यह वर्षा भी कम  न कर सकी.

 

विशेष पूजा से हुई वापसी यात्रा की शुरुआत

पूर्व निर्धारित मुहूर्त के अनुसार भगवान की वापसी यात्रा की शुरुआत हुई. गीता पाठ, वैदिक मंत्रोच्चार और विशेष आरती के बीच भगवान को रथ पर विराजमान कराया गया. पूरे विधि-विधान के साथ यह पूजा मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव और मुख्य पुजारी रामेश्वर पाढ़ी द्वारा संपन्न कराई गई. इस धुरती रथ यात्रा के दौरान मौसीबाड़ी परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी थी. विशेष पूजन के उपरांत भगवान का प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया. बारिश के बावजूद भक्तों का उत्साह और समर्पण देखने लायक था. 

 

रथ की रस्सी को माना ईश्वर का स्पर्श

श्रद्धालुओं ने रथ की रस्सी को ईश्वर का प्रत्यक्ष स्पर्श मानकर श्रद्धा से स्पर्श किया और खींचा. मार्ग में जयकारों की गूंज और भजन-कीर्तन ने माहौल को तीर्थभूमि में बदल दिया. हर ओर से जय जगन्नाथ की स्वर लहरियां वातावरण में गूंजती रहीं. 

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