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भगवान जगन्नाथ का देव स्नान संपन्न, 15 दिन के एकांतवास में रहेंगे

Ranchi:  धुर्वा स्थित जगन्नाथपुर मंदिर में आज दोपहर भक्ति और आध्यात्मिकता की अनुपम धारा प्रवाहित हुई, जब भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के प्रेममय जलाभिषेक से अभिभूत हुए. देवस्नान पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा का महा जलाभिषेक सम्पन्न हुआ.

 

इस पावन दृश्य के साक्षी बनने के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी. जैसे ही स्नान अनुष्ठान पूरा हुआ, श्रद्धालु जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ हाथ उठाकर मंदिर परिसर को भक्तिरस में डुबोने लगे.

 

 

दोपहर 2 बजे से 3:30 बजे तक जलाभिषेक : इस दौरान भगवान के विग्रह का जलाभिषेक 108 पवित्र कलशों से किया गया, जिनमें गंगाजल, चंदन मिश्रित जल, पुष्पजल और औषधीय जल शामिल थे. भक्तों ने स्वयं अपने हाथों से जल अर्पण किया, जिसमें उनकी श्रद्धा, प्रेम और आस्था का भाव झलक रहा था.

 

जलाभिषेक के पश्चात 3:30 बजे भगवान की विशेष महाआरती की गई. इस दौरान मंदिर परिसर शंख, घंटा, मृदंग और जयघोषों से गूंज उठा. भगवान को विशेष चंदन और वस्त्र अर्पित किए गए, जिससे वातावरण अत्यंत भावविभोर हो उठा.

 

4 बजे से एकांतवास में भगवान : शाम 4 बजे के उपरांत भगवान जगन्नाथ गर्भगृह में प्रवेश कर एकांतवास में चले गए. यह एक विशेष धार्मिक परंपरा है, जो रथयात्रा से पूर्व 15 दिनों तक चलती है. इसे भगवान के बीमार पड़ने की लीलामाना जाता है, जिसमें उन्हें औषधियां दी जाती हैं और उनके दर्शन बंद हो जाते हैं.

 

 

एकांत में लीला, जग में कृपा : पूजारी रामेश्वर पाढ़ी ने बताया कि यद्यपि भगवान दर्शनों से ओझल हो जाते हैं, परंतु उनकी कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है. एकांतवास के इन दिनों को भजन, ध्यान और रथयात्रा की तैयारी का काल माना जाता है. हर वर्ष भक्तों की आस्था और संख्या दोनों में निरंतर वृद्धि हो रही है.