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फेफड़ा संक्रमित था, घरवाले नाउम्मीद थे, लेकिन मैंने हिम्मत से जीती जंग, फिर आप क्यों हौसला हार रहे – श्वेताभ कुमार

Ranchi : कोरोना की दूसरी लहर समुद्र के सैलाब की तरह है.सामने जो भी आया उसे लीलती चला गया. लेकिन इसी सैलाब में जिसने हिम्मत रखकर संघर्ष किया, उसने कोरोना की जंग जीती. खुद पर और इलाज पर पूरा भरोसा रखते हुए कई लोग स्वस्थ हुए हैं. डॉक्टर्स भी कहते हैं कि अगर आप कोरोना संक्रमित हो गये तो पैनिक ना हों. क्योंकि बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो रहे हैं तो उतनी संख्या में रिकवर भी हो रहे हैं.
कोरोना संक्रमितों का हौसला बढ़ाने के लिए हम ऐसे ही एक हिम्मतवान ऑफिसर के बारे में आपको पढ़ा रहे हैं. जिनके फेफड़े ज्यादा संक्रमित थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी बस अपने अपने आत्मविश्वास को बनाये. आप भी पढिए.

कोरोना को मात देने वाले एक अफसर हैं अभियंता प्रमुख श्वेताभ कुमार. नौ दिन तक कोरोना से संघर्ष किया. तीन दिन क्रिटिकल स्थिति थी. फेंफड़ा ज्यादा संक्रमित हो चुका था. पल्स में भर्ती हुए. नौ दिन इलाज चला. इनके अपने किसी अनहोनी को लेकर डर गये थे. लेकिन श्वेताभ कुमार कभी नहीं डरे. संघर्ष किया. अपनों से बातचीत करना नहीं छोड़ा. विभाग के अन्य संक्रमित अफसरों से भी लगातार.. संपर्क में रहते थे. उनकी सेहत जानते थे.

क्रिटिकल होने के बाद भी हार नहीं मानी, डरने की नहीं, सचेत रहने की जरूरत है

लगातार न्यूज के संवाददाता ने अभियंता प्रमुख श्वेताभ कुमार से बातचीत की. उन्हें कैसा महसूस हो रहा है, ऐसी परिस्थिति में दूसरों को क्या करना चाहिए. उन्होंने बताया कि संक्रमण की जानकारी मिलते ही कई लोग डर जाते हैं. वह ज्यादा खतरनाक है. मुझे जब कोरोना संक्रमण की जानकारी मिली, तबतक मेरा फेफड़ा ज्यादा संक्रमित हो चुका था. पल्स में भर्ती हुआ. घर के सभी डर गए थे. मगर मैंने कभी हार नहीं मानी. रेमेडिसिवर इंजेक्शन के लिए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से सहयोग लिया. तीन दिन क्रिटिकल था. फिर भी मैं अंदर से खुद को मजबूत पा रहा था. सभी लोगों की दुआ साथ थी.

कोरोना संक्रमण खतरनाक है. मगर डरावना नहीं. कुछ लोगों ने इसे डरावना बना दिया है. संक्रमण के बाद एक दम डरने का नहीं है. समझिए, जो डर गया, वह मर गया. इस बीमारी से डरने का नहीं, सचेत और सुरक्षित रहने की आवश्यता है. संयम और इलाज की बदौलत गंभीर से गंभीर पेशेंट भी रिकवर कर रहे हैं. ज्यादा गंभीर नहीं होने पर अस्पताल जाने की भी जरूरत नहीं है. मैं ज्यादा संक्रमित हो गया था. इसलिए अस्पताल गया. मैंने यही महसूस किया कि भगवान और डॉक्टर पर तो भरोसा रखना ही चाहिए. मगर जो मरीज खुद के हिम्मत पर भरोसा रखेगा, वह करोना को जरूर हराएगा.

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संक्रमित सरकारी अफसरों व कर्मियों की संख्या बढ़ रही है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार सहित 6 वरीय अफसर कोरोना संक्रमित हो गए थे. पेयजल विभाग दो-तीन दिनों तक अघोषित रूप से बंद रहा. जिसमें से पेयजल विभाग के कार्यपालक अभियंता मनोज चौधरी और पीएमयू में कार्यरत राकेश कुमार की मौत हो गयी. अभी भी कई अफसर व कर्मी संक्रमित हैं. जिसमें से कई स्वस्थ होकर अस्पताल से घर आ चुके हैं. उन्हीं अफसरों में एक हैं श्वेताभ कुमार, जिन्होंने ऐसी हिम्मत दिखायी और आज स्वस्थ हैं.

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