मिथिला का प्रसिद्ध लोकपर्व शुरू, नाग देवता व शिव-पार्वती की होती है पूजा
Dhanbad : मिथिलांचल का प्रसिद्ध लोकपर्व मधुश्रावणी नागपंचमी के दिन यानी 7 जुलाई को शुरू हो गया. त्योहार को लेकर धनबाद कोयलांचल में रहने वाले मैथिल परिवारों की नवविवाहिताओं में खासा उत्साह है. पर्व के पहले दिन नवविवाहिताओं ने सुबह में नहा धोकर ससुराल से आए कपडे, लहठी और सोने के जेवरात पहनकर अपने सुहाग की रक्षा के लिए नाग देवता और शिव-पार्वती की पूजा की. पूजा के लिए रंग-बिरंगे फूलों की व्यवस्था की गई थी.नवविवाहिताओं ने सुहाग की रक्षा के लिए रखा व्रत, ससुराल से आए कपड़े पहन कर की पूजा
[caption id="attachment_691305" align="aligncenter" width="300"]alt="" width="300" height="200" /> पूजा के लिए फूलों की डलिया लिए नवविवाहिता लक्ष्मी ठाकुर[/caption] पर्व के पहले दिन नवविवाहिताओं ने अपने सुहाग की रक्षा के लिए व्रत रखा. धनबाद के भूली सी ब्लॉक निवासी इंद्रकांत झा की पुत्री वसुंधरा की शादी इसी वर्ष हुई है. वसुंधरा ने बताया कि मधुश्रावणी में उपवास रहना जरूरी है. पूजा के दौरान नाग देवता और शिव-पार्वती की कथा सुनाई गई. कथा कहने के लिए पड़ोस की एक मैथिल परिवार की महिला आई थी. पंद्रह दिवसीय यह पर्व एक तरह की तपस्या है. भूली सी ब्लॉक निवासी एके मिश्रा की पुत्री लक्ष्मी ठाकुर की शादी भी इसी वर्ष हुई है. उनके घर भी मधुश्रावणी की धूम है. घर के एक कोने को पूजा के लिए सुरक्षित रखा गया है. दीवार में चित्र उकेरे गए हैं, जिसे मिथिलांचल क्षेत्र में अरिपन कहा जाता है. इस अरिपन में मधुबनी पेंटिंग की झलक दिख रही है. अरिपन में देवी देवताओं के चित्र हैं. लक्ष्मी ठाकुर ने बताया कि पति की लंबी आयु के लिए विधि-विधान से पूजा शुरू की है. नाग देवता को दूध और धान का लावा चढाया. रंग-बिरंगे फूलों से मां गौरी की पूजा की.
इस बार डेढ़ महीने तक मनेगा पर्व
वैसे तो मधुश्रावणी 15 दिनों तक मनाया जाता है. लेकिन इस बार श्रावण अधिकमास (मलमास) होने के कारण पर्व डेढ़ माह तक मनाया जाएगा. इसका समापन 19 अगस्त को होगा. श्रावण की नागपंचमी के दिन पर्व की शुरुआत होती है. पहले दिन नवविवाहिताएं नहा-धोकर नाग देवता और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं. पूजा के लिए हर दिन रंग-बिरंगे फूलों की व्यवस्था की जाती है. दो दिन विवाहिता को नाग देवता और अन्य 13 दिन सावित्री-सत्यवान, शिव-पार्वती, राम-सीता और राधा-कृष्ण की कथा सुनाई जाती है. पर्व में पवित्रता बेहद जरूरी है. नव विवाहिता इस पर्व को मायके में मनाती हैं. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-mo-of-raza-jama-masjid-of-baghmara-parvez-became-the-sadar-and-tanveer-became-the-secretary">धनबाद: बाघमारा की रजा जामा मस्जिद के मो. परवेज बने सदर तो तनवीर सेक्रेटरी / [wpse_comments_template]
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