Kolkata : पश्चिम बंगाल में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) में भारी गड़बड़ी है. वोटरों की मैपिंग में लापरवाही बरती गयी हैं. चुनाव आयोग राज्य सरकार को भरोसे में लिये बिना ही ऑब्जर्वर अपॉइन्ट कर रहा है.भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब किया जा रहा है. ये सभी आरोप सीएम ममता बनर्जी के हैं.
.@ECISVEEP is constantly shifting goalposts, pushing daily updates on the BLO App and expecting BLOs to magically comply with ever-changing instructions. The Election Commission itself has no clarity, no plan, and no control over the SIR process.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) December 22, 2025
Because the ECI is no longer… pic.twitter.com/s7sxrZygnc
दरअसल आज सोमवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में टीएमसी के बूथ लेवल एजेंटों की मीटिंग बुलाई गयी थी. ममता बनर्जी इसमें शामिल हुई.
ममता ने यहां आरोप लगाया कि SIR पर सुनवाई के लिए माइक्रो ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त केंद्रीय अधिकारियों को बांग्ला भाषा का बहुत कम ज्ञान है. ऐसे दूसरे फेज के दौरान वेरिफिकेशन करने के लिए योग्य नहीं हैं.
ममता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग लगातार गोलपोस्ट बदल रहा है. बीएलओ ऐप पर दैनिक अपडेट देना और बीएलओ से लगातार बदलते निर्देशों का जादुई ढंग से अनुपालन करने की अपेक्षा आयोग करता है.
उसके पास स्वयं कोई स्पष्टता नहीं है, कोई योजना नहीं है एसआईआर प्रक्रिया पर कोई नियंत्रण नहीं है. कहा कि ईसीआई अब स्वतंत्र रूप से कार्य नहीं कर रहा हैय यह मजबूती से सौंपे गए रिमोट कंट्रोल पर काम कर रहा है
अमित शाह का जिक्र करते हुए कहा, वह आज वास्तविक शक्ति का केंद्र हैं. कहा कि जब दंगों के इतिहास वाले व्यक्ति को प्रॉक्सी द्वारा देश चलाने की अनुमति दी जाती है, तो परिणाम अपरिहार्य है. भाजपा गणतंत्र को शवयात्रा की ओर खींच रही है.
चुनाव आयोग ने 19 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में किये गये SIR के बाद नयी वोटर लिस्ट जारी की. ड्राफ्ट रोल के बाद सूची में 7.08 करोड़ मतदाताओं क नाम है, जबकि पहले 7.66 करोड़ थे. यानी 58 लाख 20 हजार से ज्यादा नाम सूची से गायब हैं.
नयी लिस्ट को लेकर अब सुनवाई की प्रक्रिया की शुरुआत की जा रही है. जानकारी के अनुसार पहले फेज में लगभग 30 लाख मतदाताओं को नोटिस भेजे जाने है. ये वे मतदाता हैं, जिनके एन्यूमरेशन फॉर्म में वंशावली मिलान दर्ज नहीं है.
साथ ही विभिन्न जिलों की संदिग्ध श्रेणी में शामिल मतदाताओं को भी सुनवाई के लिए तलब किया जायेगा. चुनाव आयोग की जांच के अनुसार कई केस में वोटरों और उनके माता-पिता या दादा-दादी के बीच उम्र का अंतर असामान्य रूप से काफी कम है.
एक ही व्यक्ति को कई मतदाताओं का पिता या दादा दर्शाया गया है.आयोग ने ऐसे मामलों को संदिग्ध प्रोजेनी मैपिंग मानते हुए विशेष जांच शुरू की है.
अहम बात यह है कि शुरुआत में ऐसे मामले लगभग 1 करोड़ 67 लाख थे. प्राथमिक जांच के बाद संख्या घटकर 1 करोड़ 36 लाख रह गयी है. चुनाव आयोग मैपिंग के दौरान सीमा से सटे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.



Leave a Comment