Dhanbad : झारखंड सरकार ने 108 एंबुलेंस सेवा गंभीर मरीजों को सरकारी अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए शुरू की है. लेकिन अब यह सेवा सवालों के घेरे में है. ताजा मामला धनबाद का है, जहां 108 एंबुलेंस के चालक ने अपने ही वरीय अधिकारी पर प्राइवेट अस्पताल से मरीज को उठा कर रांची के रिम्स ले जाने का दबाव डालने का आरोप लगाया है.
चालक ने बताया कि शनिवार को एक आपात कॉल आई. जिसके बाद वह एसएनएमएमसीएच से एक गंभीर मरीज को लेने पहुंचा ही था कि 108 सेवा के सीनियर अधिकारी संजय और तौसिक का फोन आया. दोनों अधिकारियों ने चालक को निर्देश दिया कि सरकारी अस्पताल के मरीज को छोड़कर जालान (प्राइवेट) अस्पताल जाओ और वहां से एक मरीज को रिम्स, रांची लेकर जाओ.
चालक सुमन कुमार व सन्नी कुमार ने मीडिया को बताया कि यह आदेश पूरी तरह सरकारी नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने बताया कि 108 एंबुलेंस सेवा आम जनता और सरकारी अस्पतालों के लिए ही है, लेकिन हमें अपने अधिकारियों द्वारा प्राइवेट अस्पतालों के मरीजों को लाने-ले जाने का आदेश दिया जाता है जो गलत है. यह सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है. चालक ने यह भी कहा कि इस तरह के निर्देश अक्सर ऊपरी दबाव में दिए जाते हैं, जिससे फील्ड में कार्य कर रहे एंबुलेंस कर्मियों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है. उन्होंने विभाग से इस पूरे मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.
इस घटना ने जिले में 108 एंबुलेंस सेवा की पारदर्शिता, ईमानदारी और उपयोगिता पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि सरकारी एंबुलेंस निजी अस्पतालों की सेवा में लगाई जाने लगीं, तो गरीब और जरूरतमंद मरीजों को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाएगी.
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