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मनरेगा में डिजिटल उपस्थिति सिस्टम की पोल खुली, सरकार ने लागू की 4-स्तरीय मैन्युअल निगरानी व्यवस्था

अब हर स्तर पर होगी तस्वीरों और उपस्थिति की जांच

Ranchi: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में श्रमिकों की डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने के लिए बनाई गई राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) के दुरुपयोग की खबरों के बाद अब केंद्र सरकार ने मैन्युअल निगरानी की चार परतें लागू कर दी हैं.

 

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस संबंध में 13 पन्नों की एक विस्तृत गाइडलाइन भेजी है. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में इस डिजिटल सिस्टम का कम से कम सात तरीकों से दुरुपयोग किया जा रहा था. इसमें फर्जी तस्वीरें, पुराने फोटो दोबारा अपलोड करना, उपस्थिति के आंकड़ों में गड़बड़ी और महिलाओं की जगह पुरुषों की तस्वीरें अपलोड करना शामिल है.

 

क्या है NMMS सिस्टम?

 

NMMS के तहत श्रमिकों को काम शुरू करते समय और काम खत्म होने के बाद जियो-टैग की गई फोटो मोबाइल ऐप पर अपलोड करनी होती है. लेकिन कई जगहों पर काम की असली तस्वीर की जगह फोटो-से-फोटो क्लिक की गई तस्वीरें, सुबह और दोपहर की फोटो में फर्क, फर्जी उपस्थिति, और मस्टर रोल में एक ही फोटो का बार-बार इस्तेमाल जैसी गड़बड़ियां पाई गईं.

 

अब क्या कदम उठाए गए हैं?

 

सरकार ने इन खामियों को देखते हुए चार स्तरों पर मैन्युअल जांच की व्यवस्था लागू की है:
•    ग्राम पंचायत स्तर पर: हर श्रमिक की 100% तस्वीर और उपस्थिति का सत्यापन
•    ब्लॉक स्तर पर: 20% तस्वीरों की जांच
•    जिला स्तर पर: 10% तस्वीरों की जांच
•    राज्य स्तर पर: 5% तस्वीरों की जांच

 

मस्टर रोल में भी बदलाव की छूट

 

अब सरकार ने मस्टर रोल में वेतन बिल तैयार होने से पहले संशोधन की अनुमति भी दे दी है. पहले ये केवल जिला कलेक्टर ही कर सकते थे, लेकिन अब ग्राम स्तर पर भी सुधार संभव होगा.

 

विशेषज्ञों की राय

 

समाजिक कार्यकर्ता जेम्म कहते है कि जिस सिस्टम को पारदर्शिता और भ्रष्टाचार रोकने के लिए लागू किया गया था, वह अब पूरी तरह से मैन्युअल जांच पर निर्भर हो गया है. इससे डिजिटल व्यवस्था का मूल उद्देश्य ही खत्म हो गया. उन्होंने कहा कि फोटो जांच के लिए जरूरी तकनीकी ढांचा और स्टाफ जमीनी स्तर पर मौजूद नहीं है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में जहां बड़ी संख्या में मनरेगा का काम होता है.

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