Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने ₹522.91 करोड़ से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी अमित गुप्ता को जमानत देने से इनकार कर दिया है. जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की एकल पीठ ने कहा कि आवेदक (गुप्ता) यह साबित करने में नाकाम रहा कि यह मानने के लिए उसके पास उचित आधार हैं कि वह आरोपित अपराधों का दोषी नहीं है.
कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां और निष्कर्ष
* अपराध की गंभीरता: कोर्ट ने कहा कि आरोप "बहुत गंभीर और गंभीर किस्म" के हैं, जो देश के आर्थिक और वित्तीय तंत्र की नींव पर चोट करते हैं.
* संगठित अपराध: यह "सैकड़ों करोड़ रुपये के फ्रॉड ट्रांजैक्शन" से जुड़ा है, जो जटिल और जानबूझकर की गई लेयरिंग के जरिए किए गए.
* आरोपी की भूमिका: अमित गुप्ता पर 135 शेल कंपनियों को कोऑर्डिनेट करने, नकली इनवॉइस, फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) और फ्रॉड ई-वे बिल बनाने का आरोप है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ.
* गलत संकेत: कोर्ट ने माना कि जमानत देने से समाज में गलत संकेत जाएगा, आर्थिक अपराधियों को प्रोत्साहन मिलेगा और न्याय प्रणाली पर लोगों का भरोसा कम होगा.
* सबूतों का भार: कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 24 का हवाला दिया, जिसके तहत एक बार मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगने पर, अपराध की कमाई को लॉन्ड्रिंग में शामिल माना जाता है, जब तक कि आरोपी इसके विपरीत साबित न कर दे.
* गिरफ्तारी की वैधता: कोर्ट ने अरेस्ट मेमो और अन्य दस्तावेजों के आधार पर यह माना कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA की धारा 19 के तहत गिरफ्तारी के सभी कानूनी मानदंडों का पालन किया था.
पूरा मामला: अमित गुप्ता पर 135 शेल कंपनियों के माध्यम से ₹750 करोड़ से ज्यादा के फर्जी GST-इनवॉइस जारी करने वाले एक संगठित सिंडिकेट का हिस्सा होने का आरोप है, जिसका उद्देश्य गैर-कानूनी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) दिलाना और अपराध की कमाई को लॉन्ड्र करना था. ED ने उसे 08 मई 2025 को गिरफ्तार किया था.
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