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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा, समान नागरिक संहिता संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ, सरकार इसे लागू न करे

Kanpur : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज रविवार को कहा कि समान नागरिक संहिता संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है, सरकार इसे किसी भी सूरत में लागू न करे. बता दें कि बोर्ड ने आज यहां अपने 27वें सार्वजनिक जलसे के दूसरे और अंतिम दिन पारित एक प्रस्ताव में यह बात कही. खबर है कि कानपुर में बोर्ड के 27वें सालाना जलसे के पहले दिन शनिवार को मौलाना राबे हसनी नदवी को एक बार फिर बोर्ड का अध्यक्ष चुन लिया गया. इसे भी पढ़ें : राहुल">https://lagatar.in/rahul-gandhi-said-modi-lies-people-do-not-trust-singhvi-said-china-has-established-a-village-in-arunachal/">राहुल

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भारत में ईशनिंदा को लेकर अलग कानून बनाया जाये

इसके अलावा मौलाना वली रहमानी के निधन से रिक्त हुए पद पर मौलाना खालिद सैफुल्ला और मौलाना कल्बे सादिक के निधन की वजह से खाली हुए पद पर मौलाना अरशद मदनी को नियुक्त किया गया . सालाना जलसे में बोर्ड ने कहा कि देश में पैगम्बर साहब की शान में लगातार गुस्ताखी की जा रही है. ऐसे में भारत में ईशनिंदा को लेकर अलग कानून बनाया जाये. बोर्ड का कहना था कि भारत में अनेक धर्मों और रवायत के मानने वाले लोग रहते हैं.  ऐसे में समान नागरिक संहिता इस देश के लिए  उपयुक्त नहीं है. ऐसी संहिता लागू करने की दिशा में उठाया जाने वाला कोई भी कदम हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा. इसे भी पढ़ें :  बुधवार">https://lagatar.in/cabinet-meeting-of-modi-government-on-wednesday-likely-to-seal-the-return-of-agricultural-laws/">बुधवार

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इस्लाम सभी धर्मों और उनके आराध्यों का आदर करता है

बोर्ड ने हाल में पैगम्बर मोहम्मद साहब के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां करने वालों के खिलाफ सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किये जाने पर असंतोष जाहिर किया. भविष्य में ऐसे लोगों पर प्रभावी कार्रवाई के लिए एक कानून बनाने की मांग की. प्रस्ताव में कहा गया है कि इस्लाम सभी धर्मों और उनके आराध्यों का आदर करता है.  बोर्ड ने सरकार तथा न्यायपालिका से आग्रह किया है कि वे धार्मिक कानूनों और पांडुलिपियों का अपने हिसाब से व्याख्या करने से परहेज करें. इसके अलावा पर्सनल लॉ  बोर्ड ने दहेज हत्या समेत महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के साथ-साथ विवाह में उनकी सहमति नहीं लिये जाने के चलन पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून बनाने और उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया. [wpse_comments_template]

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