NewDelhi : नगालैंड राज्य के मोन जिले में दिसंबर 2021 में आतंकवाद विरोधी अभियान में लगी सेना द्वारा फायरिंग किये जाने से 14 लोगों की मौत हो गयी थी. इस कांड को लेकर बड़ी खबर सामने आयी है. खबर यह है कि केंद्र सरकार ने इन सैनिकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. नागालैंड पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी है. केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के फैसले के बारे में कोर्ट को भी जानकारी दे दी गयी है.़
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भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी
मामले की तह में जायें, तो 4 दिसंबर 2021 को नगालैंड के ओटिंग में भारतीय सेना आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही थी. इस क्रम में सेना ने एक वाहन को रुकने का इशारा किया. सेना के कमांडोज को शक था कि इसमें आतंकवादी हैं. इसके बाद बिना सोचे समझे 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज के कमांडो ने फायरिंग शुरू कर दी. इस फायरिंग में 7 निर्दोष युवा मारे गये थे.
यह खबर आग की तरह फैल गयी. घटना के विरोध में गांव के लोगों ने कमांडोज को घेर लिया और सेना के वाहनों में आग लगाने लगे. इससे एक जवान की मौत हो गयी. इसके बाद सेना ने भीड़ को हटाने के लिए फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 7 और लोगों की मौत हो गयी. घटना के अगले दिन मोन कस्बे में विरोध-प्रदर्शन के बीच सुरक्षाबलों की फायरिंग में एक और युवक चपेट में आ गया.
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SIT ने मुकदमा चलाने के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मांगी
गोली कांड को लेकर नागालैंड पुलिस प्रमुख की अध्यक्षता में SIT ने जांच शुरू की. जांच पूरी करने के बाद 24 मार्च 2022 को सेना के जवानों पर मुकदमा चलाने के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मांगी गयी. सूत्रों के अनुसार SIT ने 30 मई 2022 को कोर्ट में अपनी चार्जशीट पेश की. उसमें 21 पैरा स्पेशल फोर्सेज के 30 कर्मियों के नाम दर्ज थे. इन सभी के खिलाफ हत्या की कोशिश और सबूत मिटाने के आरोप लगाये गये थे. SIT के अनुसार सेना को जवानों ने मारने का इरादे से ही फायरिंग की थी. केंद्र सरकार ने संसद में स्वीकार किया था कि नगालैंड में सेना की फायरिंग एक गलती थी.