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आदिवासी अधिकारों पर राष्ट्रीय सर्वे रिपोर्ट जारी, कई क्षेत्रों में सुधार तो कई चुनौतियां बरकरार

Ranchi : रांची में इंडिजिनस नेविगेटर नेशनल सर्वे 2023 की सारांश रिपोर्ट जारी की गई. यह कार्यक्रम वीमेन एंड जेंडर रिसोर्स सेंटर (WGRC) और आदिवासी महिला नेटवर्क के सहयोग से आयोजित हुआ. रिपोर्ट में भारत में आदिवासी समुदायों के अधिकारों, जीवन स्थितियों और विकास से जुड़े मुद्दों पर स्थिति को सामने रखा गया है.

 

इस सर्वे में देश के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 10.4 करोड़ आदिवासी रहते हैं, जो कुल आबादी का करीब 8.6 प्रतिशत हैं. सर्वे संयुक्त राष्ट्र की आदिवासी अधिकार घोषणा (UNDRIP) के आधार पर किया गया है और इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, न्याय, भूमि-अधिकार, संस्कृति और राजनीतिक भागीदारी जैसे 12 अहम विषयों पर अध्ययन किया गया.

 

रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा, रोजगार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे कुछ क्षेत्रों में स्थिति पहले से बेहतर हुई है. लेकिन भूमि और जंगल पर अधिकार, सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों पर नियंत्रण जैसे मामलों में आदिवासी समुदायों को अब भी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कई जगहों पर बिना पूरी सहमति के विस्थापन और विकास परियोजनाओं का असर भी देखा गया है.

 

 

स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी असमानता सामने आई है. आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, कुपोषण, मातृ एवं शिशु मृत्यु दर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुंच जैसी समस्याएं बनी हुई हैं.रिपोर्ट में सरकार और नीति निर्माताओं के लिए कई सुझाव भी दिए गए हैं. इसमें पारंपरिक संस्थाओं को कानूनी मान्यता देने, आदिवासी भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण, भूमि और वन अधिकारों की रक्षा और विकास योजनाओं में आदिवासी समुदायों, खासकर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया है.

 

WGRC ने कहा कि यह रिपोर्ट केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं है, बल्कि आदिवासी समुदायों की आवाज है. इसका उद्देश्य अधिकार आधारित और समुदाय के नेतृत्व वाले विकास को आगे बढ़ाना है, ताकि आदिवासी समाज को न्याय, सम्मान और समान अवसर मिल सके.

 

 

 


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