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राष्ट्रव्यापी हड़ताल व चक्का जाम सफल, झारखंड में व्यापक असर

Ranchi : केंद्र सरकार की मजदूर व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 9 जुलाई को देशभर में  राष्ट्रव्यापी हड़ताल और चक्का जाम को झारखंड में मजदूर संगठनों ने सफल बताया. आंदोलन के तहत रांची सहित राज्यभर में बैंक, बीमा कार्यालय, कोयला खदानें और कई सार्वजनिक संस्थान पूरी तरह से बंद रहने का दावा किया गया.झारखंड में हड़ताल को सफल बनाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा माले, सीपीएम, एटक, सीटू और अन्य संगठनों ने मिलकर जोरदार प्रदर्शन किया.

 

 


आंदोलन कर रहे संगठनों ने केंद्रीय नेताओं को घेरा


आंदोलन में शामिल नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मजदूर विरोधी काला कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की. नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं की गयीं, तो यह आंदोलन सड़क से संसद तक जारी रहेगा.बंद के समर्थन में सड़क पर उतरने वाले प्रमुख नेताओं में विनोद सिंह (पूर्व विधायक, भाकपा माले), सुप्रियो भट्टाचार्य (झामुमो), संजीव कुमार (कांग्रेस), रंजन यादव (राजद), महेंद्र पाठक (भाकपा राज्य सचिव), अजय कुमार सिंह (सीपीआई), सुनील साहू (अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ), सच्चिदानंद मिश्रा (एटक), समीर दास, सुखनाथ लोहरा (सीपीएम), अनिर्बान बोस (सीटू) शामिल थे.

 

17 सूत्री मांगों के समर्थन में हुआ आंदोलन


इस हड़ताल का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की 17 मजदूर विरोधी और किसान विरोधी नीतियों का विरोध करना था. जिनमें शामिल हैं - चारों श्रम संहिताओं की वापसी, न्यूनतम वेतन और पेंशन की गारंटी, सभी ठेका और आकस्मिक कर्मचारियों का नियमितीकरण. किसानों को MSP की कानूनी गारंटी, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण पर रोक सहित अन्य मांगें थी. इस बंद में वाम दलों से जुड़े सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए. जिनमें धर्मेंद्र महतो, राम भजन सिंह, अशोक यादव, शुभेंदु सेन, प्रतीक मिश्रा, किरण कुमारी, छुमु उरांव, सुरेंद्र दीक्षित, नीरज सिंह, शमशुल अंसारी, कृष्ण वर्मा, मनोज ठाकुर, श्यामल, अमित कुमार, महेंद्र, सुनील साह और अजय सिंह सहित ने भाग लिया.

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