Ranchi: केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई श्रम संहिताओं (लेबर कोड) के खिलाफ भाकपा-माले ने तीखा प्रतिवाद दर्ज करते हुए इन्हें “मजदूरों को कॉरपोरेट गुलाम बनाने की संहिता” बताया है. पार्टी का कहना है कि ये श्रम संहिताएं मजदूरों द्वारा दशकों के संघर्षों और कुर्बानियों से अर्जित अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश हैं.
राज्य सचिव मनोज भक्त ने जानकारी देते हुए कहा कि लेबर कोड के विरोध में 22 नवंबर से 28 नवंबर तक प्रतिवाद सप्ताह मनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन संहिताओं के जरिए सरकार मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा और कार्य-सुरक्षा को कमजोर कर उन्हें असुरक्षा की ओर धकेल रही है.
भाकपा-माले का आरोप है कि चारों श्रम संहिताएं कॉरपोरेट घरानों, पूंजी मालिकों और नौकरशाही के हाथों में असीमित अधिकार सौंपती हैं, जबकि मजदूरों के संगठन, प्रतिरोध और खास तौर पर हड़ताल के अधिकार पर प्रतिबंध लगाने का रास्ता खोलती हैं. पार्टी के अनुसार, ये कानून महिलाओं और असंगठित क्षेत्र के असुरक्षित मजदूरों के शोषण को बढ़ावा देंगे.
पार्टी ने मोदी सरकार से तत्काल श्रम संहिताओं को वापस लेने की मांग की है. साथ ही झारखंड राज्य कमिटी ने सभी श्रमिक संगठनों, प्रगतिशील ताकतों, जनसंगठनों और न्यायप्रिय नागरिकों से अपील की है कि वे प्रतिवाद सप्ताह में अधिकाधिक संख्या में शामिल हों और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के इस संघर्ष को मजबूत करें.
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