Ranchi : झारखंड और बिहार के वांछित 25 लाख के इनामी नक्सली प्रद्युम्न शर्मा के बेटा तरुण शर्मा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रिमांड पर लिया है. हथियार तस्करी, टेरर फंडिंग सहित नक्सल से संबंधित कई महत्वपूर्ण कांडों का अनुसंधान कर रही एनआइए ने तरुण कुमार को 25 जुलाई से ही रिमांड पर लिया है. 28 साल का तरुण कुमार मूल रूप से बिहार के जहानाबाद जिले के हुलासगंज थाना क्षेत्र स्थित रूस्तमपुर का रहने वाला है. सूचना है कि एनआइए ने उसे अपने पिता के साथ मिलकर नक्सल गतिविधियां संचालित करने के मामले में रिमांड पर लिया है. उससे टेरर फंडिंग से संबंधित मामले में पूछताछ की जा रही है. एनआईए ब्रांच रांची तरुण शर्मा को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर रही है. गौरतलब है कि 20 अगस्त 2021 को झारखंड और बिहार में वांछित इनामी नक्सली प्रद्युम्न शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
इस्टर्न रिजनल ब्यूरो का शीर्ष नेता था प्रद्युम्न शर्मा
प्रद्युम्न शर्मा भाकपा माओवादी संगठन की स्पेशल एरिया कमेटी का सक्रिय सदस्य और इस्टर्न रिजनल ब्यूरो का शीर्ष नेता था. उस पर झारखंड सरकार ने 25 लाख और बिहार सरकार ने 50 हजार का इनाम घोषित किया था. वह मगध जोन का सबसे प्रमुख सदस्य था. संगठन का आईईडी एक्सपर्ट भी था.
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झारखंड-बिहार में 90 मामले हैं दर्ज
प्रद्युमन शर्मा उर्फ कुंदन उर्फ साकेत पर झारखंड और बिहार में कुल 90 मामले दर्ज हैं. एसपी ने बताया कि 3 नवंबर 2016 को बिहार के नवादा स्थित सिरदला थाना क्षेत्र के ठेकाही मोड़ के पास नक्सली प्रद्युमन शर्मा के नेतृत्व में निर्माणाधीन रेलवे स्टेशन के बेस कैंप पर हमला किया गया था. 10 अगस्त 2019 को चौपारण थाना क्षेत्र के ग्राम भेदल के पास पुलिस मुठभेड़ हुई थी, जिसका नेतृत्व भी प्रद्युमन शर्मा ने किया था. इसमें एक माओवादी मारा गया था.
टेरर फंडिंग की जानकारी ले रही है एनआइए
मगध व आम्रपाली कोयला परियोजना से टेरर फंडिंग के मामले की जांच कर रही एनआइए ने इससे पहले इस परियोजना से जुड़े सीसीएल के अधिकारियों, ट्रांसपोर्टरों व तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इसी छानबीन के क्रम में ही एनआइए को यह भी जानकारी मिली कि टेरर फंडिंग का पैसा प्रद्युम्न शर्मा व उसके सहयोगियों तक पहुंचती थी. टेरर फंडिंग से उसने खूब संपत्ति बनाई है.अब एनआइए प्रद्युम्न शर्मा की उन्ही सभी संपत्तियों की जानकारी ले रही है. पूर्व में एनआइए की टीम ने प्रद्युम्न शर्मा व उसके सहयोगियों के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी, जिसमें लेवी-रंगदारी से संबंधित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे.
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