Ranchi: केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की के नेतृत्व में शुक्रवार को लोकभवन के समक्ष धर्मांतरित आदिवासियों द्वारा आरक्षण समेत अन्य सरकारी योजनाओं में मिल रहे ‘दोहरे लाभ’ के खिलाफ ज़ोरदार प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत पाहन ने पारंपरिक पूजा के साथ की. इसी दौरान समिति की महिला अध्यक्ष निशा भगत ने विरोध स्वरूप अपना मुंडन कराया.
वक्ताओं ने कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है, लेकिन आरक्षण और योजनाओं का लाभ बड़े पैमाने पर धर्मांतरित आदिवासी उठा रहे हैं. अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी परंपराएं और रुढ़िवादी प्रथाएं हैं, लेकिन धर्मांतरण के बाद इन परंपराओं से दूर हो चुके लोगों को आदिवासी सूची से डिलिस्ट किया जाना आवश्यक है.
सामाजिक कार्यकर्ता जय मंगल उरांव ने आरोप लगाया कि कुछ मुस्लिम परिवार आदिवासी बेटियों से शादी कर मायके से जाति और आवासीय प्रमाण पत्र बनवा लेते हैं और आदिवासी समाज के लिए बनी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं.
महिला अध्यक्ष निशा भगत ने कहा कि झारखंड पांचवीं अनुसूची का राज्य है, फिर भी पेसा कानून आज तक लागू नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि ईसाई समुदाय के धर्मांतरित लोग आदिवासी आरक्षण का लाभ लेकर मंत्री, सांसद और विधायक तक बन रहे हैं, जिससे मूल आदिवासी समाज का हक प्रभावित हो रहा है.प्रदर्शन में संजय तिर्की, एंजेल लकड़ा, निरा टोप्पो, प्रमोद एक्का, विनय उरांव, पंचम तिर्की, सोहन कच्छप, हंदु भगत समेत अन्य उपस्थित थे.
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