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भाजपा को मिला है रक्षा मंत्रालय, भाजपा-नेताओं के रक्षा की जरूरत
भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य को एक रक्षा राज्य मंत्री और मंत्रालय का पद मिला है. इसलिए भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं की रक्षा का भी दायित्व मिल गया है. जहां-जहां समीक्षा बैठक हो रही है भाजपा की. वहां इस प्रकार की स्थितियां पैदा हो रही हैं. कानून व्यवस्था भी एक सवाल बन रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जो बातें दुमका और देवघर बैठक की आयी है, उसने बहुत ही विभत्स रूप लिया है. देवघर के दलित विधायक के साथ उनकी पार्टी के ही आपराधिक किस्म के लोग हैं, जो सांसद से सीधे जुड़ाव रखते हैं, जिस प्रकार से गाली-गलौज की,मारपीट किया. दुमका में जो बातें सामने आयी है, वह साफ दर्शाता है कि भाजपा का चेहरा और चरित्र क्या है. अब वह भाजपा में नहीं रहा.हेमंत विश्वा सरमा की भाषा भी उन्माद वाला होगा
भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा में जो चल रहा है, सीधा असर केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय पर भी दिखा. जिस प्रकार से असम के मुख्यमंत्री को यहां का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. उनकी भी भाषा आपलोग देखें तो उन्माद ही नजर आता है. यही हाल भाजपा के कार्यकर्ताओं की है. अपने ही नेताओं को गाली-गलौज करना, मारपीट करना, जो यहां से पदाधिकारी जाते हैं, उनके साथ धक्का-मुक्की करना, यह एक विचित्र स्थिति बन गयी है.हम चाहते थे कि विपक्ष विधानसभा चुनाव लड़े, मगर ये तो आपस में ही लड़ रहे हैं
उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि भाजपा विधानसभा का चुनाव विपक्ष की तरह लड़ें, लेकिन यो तो आपस में ही लड़ रहे हैं. यह अजीब विडंबना है. एक तरफ प्रभारी के तौर पर भारी-भरकम नाम वालों को भेजते हैं. वहीं आपस में जुत्तम-लत्तम करते हैं. बाबूलाल अध्यक्ष हैं, हार की समीक्षा बैठक में वो क्यों नहीं जा रहे हैं.दुमका में पीएम हारे हैं, खुद प्रत्याशी ने कहा
दुमका में चुनाव तो प्रधानमंत्री ने हराने का काम किया. दुमका प्रत्याशी ने साफ तौर कहा कि यहां पर मैं नहीं मोदी जी हारे हैं. अब जब भाजपा के लोग ही कर रहे हैं कि मोदी जी की हार हुई है. जीते हुए सीट पर उनके विधायक सुरक्षित नहीं हैं. तो राजनीति किस रसातल में जा रहा है. अब आचार संहिता के बाद राज्य सरकार ने जिस प्रकार से काम शुरू किया, उस पर से कैसे ध्यान भटकाया जाए. लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से जो काम करना चाहिए, उस पर कोई बात नहीं हो रहा है. यह सिलसिला बंद होना चाहिए. कम से कम समीक्षा बैठक में राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जब बुलाते हैं तो उन्हें प्रशिक्षित भी कीजिए. यह कौन सा तरीका है कि प्रभारी जाते हैं, तो उनके साथ अभ्रद व्यवहार होता है. इनकी पहचान कौन करेगा. इसे भी पढ़ें -लॉ">https://lagatar.in/15-year-old-khatara-for-law-and-order-and-new-shiny-cars-for-officers/">लॉएंड ऑर्डर के लिए 15 साल पुराना खटारा और अफसरों के लिए नई चमचमाती गाड़ियां [wpse_comments_template]
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