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अवैध खनन के आरोपी भगवान भगत से 534.84 करोड़ वसूली के लिए जारी नोटिस रद्द

Ranchi: हाईकोर्ट ने अवैध खनन के आरोपी भगवान भगत के खिलाफ अवैध खनन के आरोप में 534.84 करोड़ रुपये की वसूली के लिए जारी डिमांड नोटिस को रद्द कर दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि उपायुक्त को डिमांड नोटिस जारी करने का अधिकारी नहीं है. ़


मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ ने मेसर्स भगवान स्टोन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया है. साथ ही याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है.


साहिबगंज में अवैध खनन की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने खनन क्षेत्र का सर्वेक्षण किया था. इसमें यह पाया गया था कि भगवान भगत पर अवैध खनन का आरोप लगाया गया था. 


संयुक्त जांच के बाद उपायुक्त ने इस मामले में कार्रवाई शुरू की और भगवान भगत पर 14.07 करोड़ क्यूबिक फुट अवैध खनन के आरोप में 534.84 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश जारी किया.


भगवान भगत ने अवैध खनन के आरोपों के मद्देनजर अपना पक्ष पेश करने के उद्देश्य से माइनिंग के सर्वेक्षण कराया. सर्वेक्षण का काम अशोक नगर स्थित मेसर्स विजन अर्थ कंसल्टेंसी द्वारा कराया गया. 


यह कंपनी राज्य के खान भूतत्व विभाग में सर्वेक्षण के लिए सूचीबद्ध है. सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ भगत ने अपना पक्ष पेश किया. लेकिन 30 दिसंबर 2023 को उसे अवैध खनन के आरोप में 534.84 करोड़ रुपये की वसूली के लिए डिमांड नोटिस जारी कर दिया गया.


इसके बाद भगवान भगत की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी. इसमें यह कहा गया कि उपायुक्त ने वैज्ञानिक तरीके से किये गये सर्वेक्षण को अमान्य करते हुए अनुमान के आधार पर किये गये आकलन के आधार पर वसूली के लिए डिमांड नोटिस जारी किया. उपायुक्त की यह कार्रवाई न्यायसंगत नहीं है. न्यायालय ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया.


अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एमएमडीआर एक्ट 1957 के रूल 54(6) और 21(5) में निहित प्रावधानों के अनुसार रेंट, रॉयल्टी या टैक्स वसूलने का अधिकार राज्य सरकार को है. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अवैध तरीके से निकाले गये खनिजों के मूल्य के दोगुने के बराबर की राशि वसूली के लिए धारा 30-बी में न्यायिक दंडाधिकारी याह अवैध खनन के मामलों की सुनवाई के लिए बनाये गये विशेष न्यायालय को है. 


उपायुक्त को यह अधिकार नहीं है. इसलिए उपायुक्त द्वारा जारी किये गये डिमांड नोटिस (1325/M) को रद्द किया जाता है. हालांकि सरकार को कानूनी तरीके से याचिकादाता से दंड वसूलने का अधिकार है.

 

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