झारखंड में कृषि शुल्क विधेयक को लेकर व्यापारियों का विरोध जारी है. वे अब आर-पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं. व्यवसायियों के संगठनों ने सरकार को 14 फरवरी तक विधेयक वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है. अगर मंगलवार तक बिल वापस नहीं लिया गया, तो 15 फरवरी से से खाद्यान्न, फल की आवक बंद करा देंगे. व्यापारियों का विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों से मिलने-जुलने का कार्यक्रम चल रहा है. वे ज्ञापन के साथ बिल का विरोध जता रहे हैं. सोमवार को चैंबर की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन
खडगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पोस्टकार्ड भेजकर विरोध जताया है. प्रस्तुत है राज्य भर से शुभम संदेश टीम की रिपोर्ट.
लातेहार चैंबर ऑफ कॉमर्स ने विधायक बैद्यनाथ राम को सौंपा ज्ञापन
झारखंड सरकार द्वारा लाये गये कृषि बिल को वापस लेने की मांग को लेकर लातेहार चेंबर ऑफ कॉमर्स ने विधायक बैद्यनाथ राम को सोमवार को एक मांग पत्र सौंपा. लातेहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुशील कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने विधायक बैद्यनाथ राम के लातेहार स्थित आवास में मुलाकात की. इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने ज्ञापन सौंपते हुए झारखंड सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल तथा दो प्रतिशत बाजार समिति शुल्क को वापस लेने की मांग की. ज्ञापन सौंपने वक्त उपाध्यक्ष गजेंद्र प्रसाद शौंडिक, विनोद कुमार महलका, निर्दोष कुमार, सुनील कुमार शौंडिक और अनिल कुमार आदि शामिल थे.
चैंबर ने कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे सोनिया और राहुल को पोस्टकार्ड भेजा
झा रखंड में कृषि शुल्क विधेयक को प्रभावी करने के निर्णय पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने के लिए फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के आहवान पर पूरे जिले से खाद्यान्न व्यापारियों, जिला चेंबर ऑफ कामर्स, खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पोस्टकार्ड भेंजा. यह कहा गया कि झारखंड में कृषि शुल्क प्रभावी करने के निर्णय से खाद्य वस्तु की कीमतों में मूल्यवृद्धि के साथ ही कृषि उपज, वन उपज, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अलावा मत्स्यपालन, पशुपालन, बागवानी, कृषक, फल/सब्जी विक्रेता सभी लोग बुरी तरह प्रभावित होंगे. जिसका प्रतिकूल प्रभाव शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक पडेगा। महंगाई पर नियंत्रण के लिए झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 को स्थाई रूप से समाप्त करने के लिए कृपया हस्तक्षेप करें.
इधर, झारखंड चैंबर ऑफ कामर्स द्वारा स्थानीय विधायक समरी लाल और नवीन जायसवाल से मिलकर इस मामले में सहयोग की अपील की गई. माननीय विधायकों ने व्यापारियों के विरोध को जायज बताते हुए हरसंभव सहयोग के लिए आश्वस्त किया. चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि चिंतनीय है कि व्यापारियों को अपना मुख्य काम छोड़कर सडकों पर उतरने के लिए विवश किया जा रहा है. पिछले एक सप्ताह से जारी राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के बावजूद अब तक कृषि मंत्री द्वारा संज्ञान नहीं लिया जाना दुखद है. हम पुनः आग्रह करते हैं कि जनहित से जुडे इस मुद्दे पर माननीय कृषि मंत्री अविलंब संज्ञान लें और इस विधेयक को तत्काल प्रभाव से स्थगित करें अन्यथा राज्य में खाद्य वस्तुओं की किल्लत होने से उपभोक्ताओं को अनावश्यक कठिनाई होगी.
निर्धारित योजना के तहत मंगलवार को सभी जिलों में उपायुक्त कार्यालय के बाहर व्यापारियों द्वारा शांतिपूर्ण धरना दिया जायेगा। 15 फरवरी से राज्यव्यापी खाद्यान्न व्यापार को बंद करने को लेकर चैंबर भवन में भी बैठक कर रणनीति बनाई गई। मौके पर चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, अमित शर्मा, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेष अग्रवाल, उप समिति चेयरमेन विवेक अग्रवाल, संजय अखौरी, सुनिल सरावगी के अलावा खूंटी चैंबर ऑफ कामर्स के पदाधिकारी उपस्थित थे.
व्यवसायी संघ का अल्टीमेटम 15 से बंद रहेंगी खाद्यान्न दुकानें
कोडरमा : फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के आह्वान पर कोडरमा के व्यवसायियों ने 15 फरवरी से जिले की खाद्यान्न दुकानों के साथ -साथ फल, आलू, प्याज की दुकानें अनिश्चितकालीन बंद रखने की घोषणा की है. सोमवार को झुमरी तिलैया के माहुरी भवन में व्यवसायियों की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जिले के फ्लोर एवं राइस मिल के साथ-साथ थोक एवं खुदरा की खाद्यान्न दुकानें तबतक बंद रहेंगी, जब तक सरकार कृषि बिल वापस नहीं लेगी. प्रतिष्ठानों में ताले लटके रहेंगे. खाद्यान्न नहीं मिलने से लोगों की परेशानी बढेगी साथ ही दूध का व्यापार करने वालों को चोकर, खल्ली आदि नहीं मिल पायेगा. 14 फरवरी तक ये सामग्री उपलब्ध होंगी और पूरे झारखंड में 15 फरवरी से खाद्यान्न का आवक- जावक दोनों बंद कर दिया जाएगा.बैठक में दीपक सिंघानिया, राहुल जैन, मनीष कपसिमें, दीपक बंसत, अरविन्द चौधरी, अजय तरवे, बीरेंद्र मोदी सचित कुमार, संजय श्रीवास्तव, सुनील साव, कुणाल कुमार, कौशिक कुमार, बबलू साव, पंकज कुमार, सुरेश भरद्धाज, हरीश मोदी, अर्जुन मोदी, आलू-प्याज विक्रेता मणिकचंद सहित दर्जनों व्यवसायी शामिल थे.
आज व्यवसायियों की बैठक डीसी, एसडीओ को सौंपेंगे ज्ञापन
कोडरमा व्यवसायी संघ के अध्यक्ष श्याम सुंदर माहेश्वरी ने कहा कि बाजार समिति का टैक्स 2 प्रतिशत बढ़ने से रोजमर्रा के आम उपयोग की वस्तुएं महंगी होंगी और आम लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा सचिव संजय कुमार बॉबी ने कहा कि यह हड़ताल एफजेसीसीआई के नेतृत्व में की जा रही है. इसमें सभी व्यवसायियों को जनता के हित में आगे आने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मंगलवार शाम 4 बजे झुमरी तिलैया के अलावा जिले के व्यवसायियों की आम बैठक बुलायी गयी है, जिसमें अगली रणनीति तय की जाएगी. मंगलवार को सांसद, विधायक, उपायुक्त, एसडीओ को ज्ञापान सौंपा जाएगा.
मालूम हो कि कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक 2022 के विरूद्ध में ये आंदोलन किया जा रहा है. व्यवसायियों ने कहा कि पड़ोसी राज्य बिहार, बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ में इस तरह का कोई टैक्स नहीं है. केन्द्र सरकार ने जीएसटी लगाया है और उसी में सारे टैक्स समाहित हो चुके हैं. ऐसे में बाजार समिति द्वारा 2 प्रतिशत टैक्स वसूलने का निर्णय बिलकुल गलत है.व्यवसायियों को जनता के हित में आगे आने की जरूरत है
अनाज हो जाएंगे महंगे, आम लोगों की जेब कटेगी
धनबाद के व्यवसायी अमन अग्रवाल कहते हैं कि कृषि शुल्क से अनाज महंगे हो जाएंगे. सबसे अधिक नुकसान व्यापारी और आम जनता को होगा. इस बिल से ना तो किसानों और ना ही राज्य के किसी व्यापारियों का फायदा होने वाला है. इस विधेयक से सिर्फ महंगाई बढ़ेगी, जो सभी लोगों के लिए भारी पड़ेगी. आम लोगों की जेब कटेगी. इसलिए इसका विरोध सभी को करना चाहिए.
सरकार को सूबे के व्यापारियों की चिंता नहीं
व्यवसायी अजय नारायण लाल ने कहा कि धनबाद से सटे बंगाल में कृषि शुल्क लागू नहीं है. झारखंड तो कृषि उत्पादन वाला राज्य भी नहीं है. ऐसे में मंडी टैक्स लगाना बेमानी है. इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा. मंडी टैक्स लागू कर सरकार ने बता दिया कि उसे ना तो व्यापारियों की चिंता है और ना ही आम जनता की. पूरे राज्य में कृषि शुल्क के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है.
कृषि शुल्क विधेयक लागू हो गया तो भ्रष्टाचार बढ़ेगा
व्यवसायी मोहम्मद अख्तर ने कहा कि 2 प्रतिशत कृषि शुल्क लागू होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. पूर्व की सरकार ने इसकी जांच कराकर कानून को निरस्त कर दिया था. पड़ोसी राज्यों में भी इसे समाप्त कर दिया गया है. एक महीना पहले उत्तर प्रदेश में भी समाप्त कर दिया है. परंतु झारखंड में कुछ अधिकारियों की सलाह पर इसे लागू कराने का प्रयास किया जा रहा है. इससे झारखंड की जनता को मंहगाई की मार भुगतनी पड़ेगी.
झारखंड सरकार सिर्फ मंहगाई को बढ़ावा दे रही है
अजय साहू कहते हैं कि 2 प्रतिशत टैक्स लगाकर महंगाई को बढ़ावा देने का काम कर रही है लरकार. इसे वापस लेना ही होगा. कुछ अन्य राज्यों में भी यह कानून निरस्त हो गया है. मगर इसे झारखंड सरकार लागू कर सिर्फ मंहगाई को बढ़ावा दे रही है. इससे किसी को फायदा नहीं होगा. इस बिल से खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ेगी. इस विधेयक को सरकार को वापस लेना चाहिए. पहले भी यह बिल ला गया था.
काला कानून हर हाल में निरस्त होना ही चाहिए
व्यवसायी अमित गुप्ता ने कहा कि झारखंड सरकार कृषि उत्पादन समिति पर 2 प्रतिशत अधिक टैक्स लगाएगी, तो इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा. छोटे या बड़े सभी व्यवसायियों पर इसका असर देखने को मिलेगा. इसलिए व्यवसायियों द्वारा जो विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. वह जायज है, इस तरह का काला कानून हर हाल में निरस्त होना ही चाहिए.जिससे कि मंहगाई पर लगाम लगाई जा सके.
बिल लागू होने से जनता महंगाई से त्रस्त हो जाएगी
कोडरमा निवासी बंटी मोदी का कहना है कि सरकार आनन फानन में इस बिल को लायी है. इसमें कई प्रकार की विसंगतियां हैं. यह कृषि बिल व्यवहारिक नहीं है. इससे आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा. झारखंड के पड़ोसी राज्यों में यह शुल्क लागू नहीं है. सरकार बाजार समिति शुल्क लगा कर चावल और अन्य खाद्यान्नों से जुड़े व्यापार को समाप्त करना चाहती है. इस बिल के लागू होने से जनता महंगाई से त्रस्त हो जाएगी.
सरकार यह बिल लाकर अन्याय कर रही है : आनंद
कोडरमा से आनंद वर्मा का कहना है कि सरकार कृषि बिल लाकर छोटे दुकानदार और व्यवसायियों के साथ अन्याय कर रही है. बाजार समिति का दो प्रतिशत शुल्क लग जाने से अनाज पर प्रति क्विंटल 50 रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ेगा. सरकार को व्यापारियों को विचार विमर्श करके यह बिल लाना चाहिए था. एक तो महंगाई पहले से चरम पर है. सरकार को यह भी लगने से रुकना चाहिए,ताकि जनता पर लग रही महंगाई से जनता राहत मिल सके.
यह आर्थिक दोहन करने वाला विधेयक है
जमशेदपुर के युवा कारोबारी आकाश साह ने कहा कि झारखंड सरकार का कृषि शुल्क विधेयक से आर्थिक दोहन बढ़ेगा. यहां के व्यापारी पहले से ही खाद्य पदार्थों पर जीएसटी, एसजीएसटी समेत अन्य टैक्स का भुगतान कर खाद्यान्न मंगाते हैं. उन्हें अतिरिक्त दो फीसदी टैक्स देने के लिए बाध्य किए जाने पर चोरी-घूसखोरी बढ़ेगी. साथ ही आम उपभोक्ताओं पर महंगाई की अतिरिक्त मार पड़ेगी.
आम लोग व व्यापारियों के लिए काला कानून
जमशेदपुर के युवा कारोबारी अंकित चेतानी ने कहा कि कृषि शुल्क विधेयक आम लोगों व व्यापारियों के लिए काला कानून के समान है. इसके लागू होने से महंगाई बढ़ेगी. साथ ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. व्यापारी एवं आम लोग पड़ोसी राज्यों से अपना कारोबार करेंगे. इसके कारण झारखंड सरकार को राजस्व का नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि सरकार के इस विधेयक के खिलाफ राज्यभर के व्यापारी आंदोलित हैं.
बिल के लागू होने से इंस्पेक्टर राज कायम होगा
जमशेदपुर के युवा कारोबारी निखिल अग्रवाल ने कहा कि झारखंड में कृषि शुल्क विधेयक लागू होने से बंद हो चुका इंस्पेक्टर राज की पुनरावृति होगी. इसके कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. ऐसी स्थिति में आम लोगों पर महंगाई का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. खासकर खाद्य पदार्थों के दाम निश्चित रुप से बढ़ेंगे. कृषि शुल्क लेने का विरोध व्यापारी आम जनता को महंगाई के चंगुल से बचाने के लिए कर रहे हैं.
राहत की बजाय परेशानी खड़ी कर रही सरकार
जमशेदपुर के कारोबारी लाला जोशी ने कहा कि झारखंड सरकार व्यापारियों एवं आम लोगों को राहत देने की बजाय आफत में डाल रही है. दो वर्षों के कोरोना संक्रमण काल में व्यापारियों के साथ-साथ आम लोगों की हालत खस्ता हुई है. दौर खत्म होने के बाद सभी संभल रहे हैं. व्यापार-करोबार पटरी पर लौट रहा है. इसी बीच सरकार द्वारा कृषि शुल्क विधेयक लागू करना सभी को परेशानी में डालने के समान है.
जबरन व्यापारियों पर थोपा जा रहा है कृषि शुल्क
रामगढ़ के बीज एवं खाद्य व्यवसाय बिपिन बिहारी कहते हैं कि इस विधेयक से किसानों और व्यापारियों को बहुत ही नुकसान है. व्यपारी जब जीएसटी भरते ही हैं तो फिर अलग से 2 परसेंट टैक्स किस बात की . यह बिल जबरन किसानों और व्यापारियों के ऊपर थोपा जा रहा है, जो सरासर गलत है. सरकार को चाहिए कि इस विधेयक को वापस ले. रघुवर सरकार के समय भी यह बिल लागू किया गया था, लेकिन फिर इस बिल को निरस्त कर दिया गया.
व्यवसायियों के साथ लोगों काे भी भारी नुकसान है
हजरीबाग के व्यवसायी मनोज गोयल ने कहा कि कृषि बिल विधेयक व्यवसायियों के हित में नहीं है. वह व्यवसायियों के आंदोलन के समर्थन में हैं. किसान खुशहाल रहें, लेकिन जिस नीति से कारोबारी प्रभावित नहीं हों, ऐसा कानून लाने की जरूरत है. व्यवसायियों को पहले से ही जीएसटी और चुंगी देना पड़ रहा है. अब नया टैक्स देने से सामग्रियों की महंगाई बढ़ेगी. इससे आमजन भी प्रभावित और परेशान होंगे.
कृषि बिल विधेयक का विरोध होना ही चाहिए
हजरीबाग के कारोबारी राकेश गुप्ता कहते हैं कि कृषि बिल विधेयक पर राज्य सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं, जो पूरी तरह जायज है. आखिरकार व्यवसायियों पर कर का कितना बोझ लादा जाएगा. व्यापारी वर्ग पर ही बाजार निर्भर है. कर बढ़ने से आम जनता पर भी बोझ बढ़ेगा.इसलिए सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए और व्यापारियों से बात करना चाहिए.
व्यापारी संगठन एकजुट, सरकार को झुकना पड़ेगा : श्याम सुंदर साव
कृषि बाजार फल मंडी के थोक विक्रेता श्यामसुंदर साव ने कहा कि झारखंड के तमाम व्यवसायी संगठन अब एक हो चुके हैं सरकार को इस बिल को निरस्त करना ही पड़ेगा. सरकार व्यापारियों को कमजोर समझने की भूल ना करे. हमारा आंदोलन लगातार जारी है. हेमंत सरकार 14 फरवरी से पहले पुनर्विचार कर कोई ठोस निर्णय ले नहीं तो 15 फरवरी के बाद झारखंड की हालत कुछ और देखने को मिलेगी.
इस नीति से बाहरी उद्योगपति झारखंड आने से करेंगे परहेज : सुरेंद्र जिंदल
कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष सुरेंद्र जिंदल ने कहा कि हेमंत सरकार अपनी नीतियों में बदलाव लाए नहीं तो झारखंड में बाहरी इंडस्ट्रीज आने से परहेज करेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने 22 देशों की कंपनियों को झारखंड में निवेश करने का न्योता दिया था. कंपनियों को इंडस्ट्रीज लगाने के लिए रघुवर सरकार कई सुख सुविधा देने को भी तैयार थी.
व्यापार में छूट दे तभी झारखंड का विकास संभव : विवेक अग्रवाल
कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य विवेक अग्रवाल ने कहा कि सरकार व्यापार करने में छूट दे, तभी झारखंड का विकास संभव है. सरकार की नीति अगर व्यापारियों के खिलाफ रही तो झारखंड का विकास संभव नहीं. राज्य सरकार अगर व्यापारियों को छूट देती है तो निश्चित है कि बाहरी विदेशी कंपनी भी झारखंड में आकर व्यापार करेगी और इसका सीधा फायदा राज्य को जाएगा.
व्यापारियों को छलने का काम कर रही सरकार : जसविंदर पाल सिंह
कृषि बाजार चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य जसविंदर पाल सिंह ने कहा है कि हेमंत सरकार कृषि बिल पास करा कर राज्य के व्यापारियों और जनता को छलने का काम कर रही है. इस बिल का सीधा लाभ राज्य सरकार के खाते में जाएगा. यही कारण है कि इस बिल को दोबारा लागू किया गया है. सरकार की इस नीति से व्यापारियों में आक्रोश है. अगर 15 फरवरी तक सरकार ने कोई सही फैसला नहीं लिया तो आगे की जवाबदेही हेमंत सरकार की होगी.
किसानों को मोहरा बना रही है हेमंत सरकार : शरद अग्रवाल
बाजार समिति चेंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य शरद अग्रवाल ने कहा कि हेमंत सरकार किसानों को मोहरा बनाकर खुद जेब भरने में जुटी हुई है. उन्होंने कहा झारखंड में फल सब्जी व अनाज की 80% तक आवक दूसरे राज्यों से होती है तो इस 2 प्रतिशत का लाभ आखिर झारखंड के किसानों को कैसे मिलेगा. सरकार किसानों को मोहरा बनाकर इसका मुनाफा खुद उठाना चाह रही है, जो हम कतई नहीं होने देंगे.
इस बिल पर हम तो व्यापारी वर्ग के साथ हैं: ललन यादव
राजद के जिला उपाध्यक्ष ललन यादव का कहना है कि राजद व्यापारी वर्ग के साथ है. कोरोना काल और महंगाई को देखते हुये फिलहाल तो किसी तरह का टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिये. पुराने टैक्स को ही यथावत रखने का काम किया जाना चाहिये. अगर खाद्य सामग्री का टैक्स बढ़ता है तो इसका प्रभाव आम जनजीवन पर भी पड़ेगा. अन्य सामान के मूल्यों में भी बेतहाशा वृद्धि होने लगेगी.
हेमंत सरकार लोगों को छलने का काम कर रही है
साहिबगंज के ईस्टर्न झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार अग्रवाल ने बताया कि हेमंत सरकार इस विधेयक को लाकर खाद्यान्न व्यापारियों और लोगों को छलने का काम कर रही है. विधेयक से खाद्यान्न व्यापारियों के साथ-साथ आम लोगों को भी नुकसान है. दो प्रतिशत शुल्क सीधे सरकारी खाते में जाएगा. सरकार अपनी तिजोरी भरने के लिए ही इस बिल को लेकर आई है, उसे आमलोगों की चिंता नहीं है.
राज्य सरकार अपनी नीतियों में बदलाव लाए
साहिबगंज के ईस्टर्न झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स साहिबगंज के महासचिव अंकित केजरीवाल का कहना है कि हेमंत सरकार अपनी औद्योगिक नीतियों में बदलाव लाए. सरकार का यही रवैया रहा तो झारखंड में दूसरे राज्यों के उद्योगपति इंडस्ट्रीज स्थापित नहीं करेंगे. भाजपा की सरकार के समय मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय देश की 22 कंपनियों ने झारखंड में निवेश करने की रुचि दिखाई थी.
टैक्स चोरी करनेवाले व्यवसायियों को दिक्कत होगी
हजरीबाग के कांग्रेस नेता मिथिलेश दूबे ने कहा कि कृषि बिल से टैक्स चोरी करनेवाले व्यवसायियों को दिक्कत है. ईमानदारी से टैक्स देनेवाले व्यापारियों को इस बिल से कोई परेशानी नहीं है. इस बिल से किसानों के हालात सुधरेंगे. व्यवसायियों को भी इसका समर्थन करना चाहिए. किसान हित में यह बिल है. जहां तक सामानों के मूल्य वृद्धि का सवाल है, तो सरकार से साथ बैठ वार्ता कर बीच का रास्ता निकालना चाहिए.
विधेयक के प्रभावी होने से महंगाई बढ़ेगी और परेशानी भी : मंटू केसरी
कोडरमा के मंटू केसरी का कहना है कि यह बिल किसानों के हितों के लिए नहीं है. इस बिल से मंगाई बढ़ेगी. इस बिल में कई कमियां भी हैं, जिसे दुरुस्त करने पर यह बिल लागू किया जा सकता है , लेकिन इससे महंगाई और बढ़ जाएगी और जनता महंगाई से त्रस्त हो जाएगी . सरकार को चाहिए कि इस बिल को लागू होने से रोके.साथ ही इस बिल को लेकर सरकार को व्यापारियों से बात करनी चाहिए.
टैक्स की से आम जनता पर बोझ पड़ेगा
पलामू के संजय कुमार ने कहा कि अब का बाजार कॉम्पिटेटिव बाजार हैं. उसके बीच सरकार को कानून और टैक्स में सरलता लाने चाहिए. इसके उलट सरकार टैक्स बढ़ा रही है. टैक्स बढ़ाने की वजह से आम जनता पर बोझ पड़ेगा और इसका सीधा असर किसान व्यापारी और राज की जनता पर जाएगा. आज की स्थिति में वैसे भी व्यापार करना बहुत मुश्किल है. ऊपर से सरकार व्यापार के प्रति इस तरह का रवैया रखेगी तो कैसे चलेगा.
व्यापारियों के साथ ही साथ आम लोगों को नुकसान
साहिबगंज के किराना व्यवसायी संतोष केसरी ने बताया कि हेमंत सरकार की नीति व्यापारियों के खिलाफ रही तो राज्य का विकास अवरुद्ध होगा. झारखंड में बाहरी कंपनी आने से परहेज कर रही है. कृषि विधेयक से खाद्यान्न व्यापारियों के साथ-साथ आम लोगों को भी नुकसान है. इसका असर राज्य की वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा. हेमंत सरकार 14 फरवरी से पहले विधेयक वापस लेने पर विचार करे.
विधेयक आम उपभोक्ता के हित के खिलाफ है
जमशेदपुर के सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व उपाध्यक्ष आलोक चौधरी का कहना है कि कृषि शुल्क विधेयक किसान एवं आम उपभोक्ताओं के हित के खिलाफ है. विधेयक के प्रभावी होने से खाद्य सामग्रियों के दाम बढ़ेंगे. इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार भी उक्त विधेयक लायी थी, लेकिन विरोध के कारण उसे वापल लेना पड़ा. विधेयक में कृषि उपज पर टैक्स का प्रावधान है, जबकि जमशेदपुर की मंडी में किसानों द्वारा अपनी उपज नहीं बेची जाती है.
कृषि शुल्क विधेयक का समर्थन करने की जरूरत
हजरीबाग के बरकट्ठा के पूर्व निर्दलीय प्रत्याशी रामचंद्र मेहता ने कहा कि कृषि बिल का समर्थन करने की जरूरत है. इस बिल के लागू होने से किसानों को फायदा होगा. व्यवसायियों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए. लंबे समय बाद किसानों के हित में कोई नीति बनी है, तो उसका स्वागत होना चाहिए. यह कानून किसानों की सेहत में सुधार के लिए बनाया गया है.इसलिए व्यापारियों के इस बिल का विरोध नहीं करना चाहिए.
झांसा देकर बिल पास कराया गया जनता के हित में है ही नहीं : संजय
कोडरमा से संजय कुमार का कहना है कि विधानसभा में यह बिल झांसा देकर पास किया गया है. यह भी जनता के हित का नहीं है. सरकार को जनता के हित में रहते हुए यह बिल लागू नहीं करना चाहिए. इस बिल के पास होने से महंगाई बढ़ेगी और जनता तो पहले से ही महंगाई से परेशान है. इसलिए सरकार को इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है. सरकार को इस मुद्दे पर हर हाल में व्यापारियों से भी बात करनी चाहिए.
महंगाई बढ़ेगी,सरकार बिल को जल्द रोके
कोडरमा से मिथलेश कुमार का कहना है कि इस बिल के लागू होने से महंगाई बढ़ जाएगी और जनता महंगाई से त्रस्त हो जाएगी . सरकार को चाहिए कि इस बिल को लागू होने से रोके और जल्द से जल्द कोई समाधान निकालें. जिससे महंगाई पर लगाम लग सके. अगर इस बिल को लागू होने से नहीं रोका गया तो जल्द से जल्द आंदोलन किया जाएगा.व्यापारी वर्ग इस बिल को लेकर खासे नाराज हैं.
सरकार का राजस्व बढ़ने की बजाय घटेगा
जमशेदपुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव पंकज मोहनलाल ने कहा कि कृषि शुल्क विधेयक के प्रभावी होने से सरकार की सोच के विपरीत कार्य होगा. यहां कारोबारी पड़ोसी राज्यों (बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा) से खाद्यान्न मंगवाएंगे, क्योंकि उन राज्यों में कृषि उपज पर शुल्क नहीं है. इसके कारण सरकार जीएसटी/एसजीएसटी के रुप में मिलने वाले टैक्स से वंचित रह जाएगी.
लाइसेंस बनवाने के चक्कर में अफसरशाही बढ़ेगी
राजेश कुमार ने कहा कि सरकार जो विधेयक लेकर आई है, इससे लोगों की परेशानी बढ़ेगी. सरकार टैक्स बढ़ा देगी तो इससे उपभोक्ताओं को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. अगर आप छोटे किसानों के बात करें तो छोटे किसान का वैसे भी फायदे में नहीं रहते, उसके ऊपर यह विधेयक की वजह से उन्हें भी लाइसेंस लेना पड़ेगा. लाइसेंस बनवाने के चक्कर में अफसरशाही बढ़ेगी.
सरकार को बिल पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता
हजरीबाग के मुखिया प्रतिनिधि अजय साहू कहते हैं कि सरकार को बिल पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. कृषि बिल विधेयक से व्यवसायी और उपभोक्ता दोनों को नुकसान है. सरकार को यह बात समझने की जरूरत है. व्यवसायियों के आंदोलन में सबको सहयोग करना चाहिए. सरकार इस बिल को वापस ले लेना चाहिए. इस बिल के कारण राज्य के व्यापारियों में आक्रोश है.
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