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पीएम मोदी व आरएसएस पर आपत्तिजनक पोस्ट, सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट को फटकारा, पर राहत भी दी

New Delhi :  सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को पीएम मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट साझा करने को लेकर फटकारा. हालांकि, अदालत ने कार्टूनिस्ट को गिरफ्तारी से राहत दे दी.

 

 

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने फटकार लगाते हुए कहा कि यदि मालवीय भविष्य में इसी तरह की पोस्ट करते हैं तो मध्य प्रदेश सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.

 


न्यायमूर्ति धूलिया ने टिप्पणी करते हुए कहा, हद है! लोग किसी को भी, कुछ भी कह देते हैं. अदालत का कहना था कि लोग सोशल मीडिया पर बिना सोचे-समझे, शालीनता की सीमा को पार कर पोस्ट करने लगे हैं. इससे  समाज में तनाव और वैमनस्य फैलने का खतरा है.

 

 

अहम बात यह है कि कोर्ट ने संकेत दिया कि अगली सुनवाई 15 अगस्त के बाद होगी. उसमें गाली-गलौज और अशोभनीय पोस्टों को लेकर जरूरी आदेश पारित कर सकते हैं.  कार्टूनिस्ट  हेमंत मालवीय द्वारा 2020-2021 में कार्टून बनाये गये थे. किसी ने उनके पुराने कार्टून को फिर से सोशल मीडिया पर साझा करते हुए उसमें धार्मिक टिप्पणियां जोड़ दीं.

 

 

इस नये पोस्ट के वायरल होने पर  मालवीय के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनकी  अग्रिम जमानत याचिका खारिज दी थी. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई.  

 

 

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने हेमंत मालवीय की ओर से पैरवी की. उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि मालवीय ने जो कार्टून बनाये थे, वे किसी अपराध की श्रेणी में नहीं आते. बताया कि आपत्तिजनक पोस्ट मालवीय ने नहीं, बल्कि किसी और ने डाला है.  

 

 

मालवीय के पुराने कार्टून को लेकर धार्मिक और भड़काऊ बातें जोड़ दी गयी हैं. वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इसके बावजूद राज्य सरकार ने सारा गुस्सा मालवीय पर ही निकाला. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मालवीय उस पोस्ट को हटाने के लिए तैयार हैं.


 


इस केस में सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने दलील दी कि देश में सभी नागरिकों को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार नहीं है किकिसी व्यक्ति, संस्था या धर्म की मानहानि की जाये. . उन्होंने कोर्ट में कहा कि सोशल मीडिया पर की गयी अभिव्यक्ति भी कानून के दायरे में आती है और यदि वह अपराध की श्रेणी में आती है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है. 
 

 

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