NewDelhi : प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ एक अनौपचारिक बातचीत में मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, आयुक्त राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे के शामिल होने पर विपक्ष हमलावर है. जान लें कि हाल ही में चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय के बीच प्रमुख चुनावी सुधारों की समझ में अंतर को पाटने के लिए मंथन किया गया.
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कैसी मानसिकता, सपा नेता अबू आजमी ने कहा, बेटी संग घर में अकेले मत रहो, शैतान कभी भी सवार हो सकता है आयोग चुनाव कानूनों में सुधारों पर जोर देता रहा है
इस बातचीत को लेकर विपक्ष ने केंद्र पर हल्ला बोला. इस मामले में चुनाव आयोग के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि हुए कहा कि ऐसा करने में किसी औचित्य का कोई सवाल नहीं उठता. कहा कि आयोग चुनाव कानूनों में सुधारों और संबद्ध मुद्दों पर जोर देता रहा है. एक तरह से सफाई दी कि नवंबर में डिजिटल माध्यम से हुई बातचीत कानून मंत्रालय एवं निर्वाचन आयोग के बीच विभिन्न बिंदुओं पर परस्पर समझ को समान बनाने के लिए की गयी थी.
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ने कहा, पैसे की कमी नहीं है, हम सोने की खदानों पर बैठे है, 26 ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बना रहे हैं विपक्ष तेवर तीखे करते हुए केंद्र सरकार पर बरस पड़ा
इस घटनाक्रम पर विपक्ष तेवर तीखे करते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार बरस पड़ा. आरोप लगाया कि मोदी सरकार निर्वाचन आयोग से अपने मातहत जैसा व्यवहार कर रही है. कांग्रेस महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का आरोप था कि सरकार देश में संस्थाओं को नष्ट करने के मामले में और अधिक नीचे गिर गयी है. कहा, चीजें बेनकाब हो गयी हैं. अब तक जो बातें कही जा रही थी वे सच हैं.
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अमरिंदर सिंह की पार्टी पीएलसीपी और भाजपा गठबंधन पर लगी मुहर, किसका नुकसान! कभी नहीं सुना , PMO ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को तलब किया
उन्होंने आरोप लगाया, हमने स्वतंत्र भारत में कभी नहीं सुना था कि PMO द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त को तलब किया गया हो. कहा कि निर्वाचन आयोग के साथ अपने मातहत की तरह व्यवहार करने से साफ है कि मोदी सरकार हर संस्था को नष्ट करने के मामले में और भी नीचे गिर चुकी है. इस मामले में निवार्चन आयोग के सूत्रों ने कहा कि चुनाव सुधारों पर सरकार और आयोग के बीच सिलसिलेवार पत्राचार के बीच, पीएमओ ने तीनों आयुक्तों के साथ अनौपचारिक बातचीत आयोजित करने की पहल की.
तीनों आयुक्त औपचारिक बैठक में शामिल नहीं हुए!
शुक्रवार को यह खबर सामने आने और इस बाबात पूछे जाने पर कि कानून मंत्रालय ने आयोग को एक पत्र भेज कर कहा था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव सामान्य मतदाता सूची पर एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे और उम्मीद की जाती है कि सीईसी उपस्थित रहेंगे. सूत्रों ने कहा कि तीनों आयुक्त औपचारिक बैठक में शामिल नहीं हुए. सूत्रों ने अनुसार कानून मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा आयोग के वरिष्ठ अधिकारी औपचारिक बैठक में शरीक हुए. इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्य निवार्चन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा, यह स्तब्ध कर देने वाला है. बता दें कि कानून मंत्रालय में विधायी विभाग निर्वाचन आयोग से जुड़े विषयों के लिए नोडल एजेंसी है.
अनौपचारिक बातचीत का परिणाम केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दिखा
सूत्रों की मानें तो पीएमओ के साथ अनौपचारिक बातचीत का परिणाम बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दिखा, जिसने विभिन्न चुनाव सुधारों को मंजूरी दी, जिस पर आयोग का जोर था. जान लें कि इन सुधारों में आधारकार्ड को स्वैच्छिक आधार पर मतदाता सूची से जोड़ना, हर साल चार तारीखों को पात्र युवाओं को मतदाता के तौर पर अपना पंजीकरण कराने की अनुमति देना आदि शामिल हैं. सूत्रों ने इस बात का जिक्र किया कि महत्वपूर्ण चुनाव सुधार पिछले 25 वर्षों से लंबित हैं.
लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव सुधार पर पीएमओ में एक बैठक के लिए आयोग को तलब करने के मुद्दे पर शुक्रवार को लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. खबर है कि तिवारी ने नोटिस में निर्वाचन आयोग की स्वायत्ता पर सवाल खड़े किये हैं. हालांकि लखीमपुर खीरी मामले पर हंगामे की वजह से निचले सदन की कार्यवाही स्थगित हो गयी. तिवारी के अनुसार वह सोमवार को फिर से इस विषय पर कार्यस्थगन का नोटिस देंगे.
मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने चुनाव सुधार में मांगी थी मदद
सूत्रों के अनुसार मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने (पूर्व कानून मंत्री) रविशंकर प्रसाद सहित मौजूदा कानून मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखे थे तथा चुनाव सुधार लागू करने में उनकी मदद मांगी थी. आमतौर पर, कानून मंत्री और विधायी सचिव निर्वाचन सदन में विभिन्न मुद्दों पर निर्वाचन आयुक्तों के साथ बैठक करते रहे हैं. आयुक्तों ने प्रोटोकॉल के तहत कभी मंत्रियों के साथ बैठक नहीं की क्योंकि आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है. [wpse_comments_template]
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