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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर ST- SC प्रोन्नति में आरक्षण की दिशा में सरकार ने बढ़ाया कदम, 57,182 कर्मियों को फायदा

Ranchi  :  झारखंड विधानसभा में पिछले दिनों हेमंत सोरेन की सरकार ने अनुसूचित जनजाति-जाति आरक्षण के आधार पर प्रोन्नति को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है. विपक्ष के हंगामे के बीच विधानसभा में राज्य सरकार के पदों पर आरक्षण के आधार पर प्रोन्नत सरकारी सेवकों की परिणामी वरीयता का विस्तार विधेयक-2022 पारित हुआ. विपक्ष का आरोप था कि वे एसटी-एससी आरक्षण के विरोध में नहीं है. पर उन्हें ओबीसी की गर्दन काटकर आरक्षण देना मंजूर नहीं है. देखा जाये, तो हेमंत सोरेन ने एसटी-एससी आरक्षण के आधार पर प्रोन्नति देने का कदम सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद ही उठाया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई निर्णयों में कहा था कि प्रोन्नति में आरक्षण के लिए उचित प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है. यह काम राज्य सरकारों को करना है. इसे देख हेमंत सरकार ने राज्य के तीन आईएएस वाली एक कमिटी बनायी थी. कमिटी ने भी माना था कि एसटी-एससी के आधार पर प्रोन्नति पर आरक्षण काफी लंबित है. ऐसे में इस दिशा में सरकार को त्वरित कदम बढ़ाना चाहिए. इसे भी पढ़ें - जमशेदपुर">https://lagatar.in/jamshedpur-there-is-a-possibility-of-murder-on-the-mason-in-the-recovery-of-the-head-jitu-tudu-is-absconding-since-the-incident/">जमशेदपुर

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 प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तीन अहम फैसले

विपक्ष भले ही सरकार पर आरोप लगाये, लेकिन हकीकत यही है कि हेमंत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही यह कदम उठाया हैं.
  • 27 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट के एक बेंच ने कहा था कि प्रोन्नति में आरक्षण के लिए प्रतिनिधित्व वाला राज्य सरकारें ही तय करेंगी.
  • इस साल 28 जनवरी तीन जजों की बैंच ने भी यह निर्णय दिया था कि प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है. आंकड़े एकत्र करना और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आकलन के मानक तय करना राज्य का दायित्व है.
  • इससे पहले 2006 के एम नागराज फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण के मामले में राज्य सरकारों को 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को ध्यान रखना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने एसटी-एससी को प्रमोशन में आरक्षण देने को लेकर जो criteria तय किए थे, उसमें शामिल हैं.

सरकार को पहले आंकड़े जुटाने होंगे कि

  1. ये वर्ग कितने पिछड़े रह गए हैं?
  2. पर्याप्त प्रतिनिधित्व - इनका प्रतिनिधित्व कितना कम हैं.?
  3. प्रशासनिक दक्षता - कामकाज पर इसका क्या असर पड़ेगा.?
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57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाते हैं

  बता दें कि अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने के लिए एल खियांग्ते, के.के सोन और वंदना डांडेल की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का हेमंत सरकार ने गठन किया था. समिति को सरकारी सेवाओं और पदों के अधीन प्रोन्नति में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता पर एक रिपोर्ट तैयार करना था. रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार के 34 विभागों में से 31 प्रमुख विभागों में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3,01,1 98 है, जिनमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाते हैं. इसे भी पढ़ें - PVR">https://lagatar.in/merger-of-pvr-and-inox-leisure-shares-of-pvr-rose-7-percent-ajay-bijli-will-be-the-new-md/">PVR

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