Ranchi : महाराष्ट्र के मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) की तर्ज पर झारखंड में कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (झाकोका) बनाने की तैयारी चल रही थी. इसको लेकर झारखंड पुलिस मुख्यालय ने साल 2023 में गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था.
हालांकि सरकार की ओर से प्रस्ताव पर मंजूरी नहीं मिल पाने की वजह से यह एक्ट झारखंड में लागू नहीं हो पाया है. महाराष्ट्र के अलावा दिल्ली, हरियाणा और कर्नाटक सरकार ने भी इस कानून को लागू किया है.
आसानी से नहीं मिल पायेगी जमानत, इतनी मिलेगी सजा
इस एक्ट के झारखंड में लागू होने के बाद संगठित अपराध से जुड़े अपराधी या आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिल पायेगी. खासकर जो जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या का प्रयास, धमकी, उगाही जैसे गंभीर और गैरकानूनी काम करते है और इसे बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ कमाता है.
इस कानून के तहत किसी व्यक्ति के खिलाफ तभी मुकदमा दर्ज किया जाएगा, जब वह पिछले 10 वर्षों में कम से कम दो संगठित अपराधों में संलिप्त पाया गया हो. साथ ही, संबंधित अपराध में कम से कम दो व्यक्ति शामिल होने चाहिए, यानी वह संगठित गिरोह का हिस्सा होना चाहिए.
इसके अलावा आरोपी के खिलाफ एफआईआर के बाद चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए. इस कानून के तहत अधिकतम सजा फांसी है. जबकि न्यूनतम पांच साल की जेल का प्रावधान है.
आरोपी को 30 दिन तक रिमांड पर ले सकेगी पुलिस
झाकोका के तहत पुलिस आरोपी को 30 दिन तक रिमांड पर ले सकती है. जबकि आईपीसी के तहत पुलिस रिमांड की अवधि अधिकतम 15 दिन होती है. यदि पुलिस 180 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं करती है, तो आरोपी को जमानत मिल सकती है.
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