NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज बुधवार को PMLA के तहत जांच, तलाशी, गिरफ्तारी और संपत्तियों को अटैच करने जैसे ईडी की शक्तियों बरकरार रखे जाने पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी कांग्रेस पर तंज कसा है. कहा कि PMLA को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पी चिदंबरम और अन्य नेताओं के लिए चिकन खुद फ्राई होने के लिए आ जाने जैसा है. बता दें कि पी चिदंबरम ने यूपीए सरकार में ईडी को शक्तिशाली बना दिया था.
SC judgment on PMLA is a case of “Chickens coming home to roost” for PC, BC, etc..The ED was empowered by PC during UPA tenure.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 27, 2022
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कोर्ट ने कहा, मनी लांड्रिंग के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है
जान लें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जांच, तलाशी, गिरफ्तारी और संपत्तियों को अटैच करने जैसी ईडी की शक्तियों बरकरार रखा है. कोर्ट ने यह भी कहा कि मनी लांड्रिंग के तहत गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है. हालांकि कोर्ट ने 2018 में फाइनेंस बिल के जरिए किये गये बदलाव के मामले को 7 जजों की बेंच में भेज दिया है. इस फैसले के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने पूर्व गृह मंत्री और वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर हल्ला बोला.
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याचिकाओं में PMLA के प्रावधानों को चुनौती दी गयी थी
सुप्रीम कोर्ट में कार्ति चिदंबरम समेत 242 याचिकाएं दायर की गयी थी. इनमें PMLA के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की गयी थी. जमानत के प्रावधानों पर भी सवाल किये गये थे. याचिकाओं में PMLA एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए कहा गया था कि इसके CrPC में किसी संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गयी प्रक्रिया का पालन नहीं होता है.
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जांच एजेंसियां प्रभावी रूप से पुलिस शक्तियों का प्रयोग करती हैं, इसलिए उन्हें जांच करते समय CrPC का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए. चूंकि ईडी पुलिस एजेंसी नहीं है, इसलिए जांच के दौरान आरोपी द्वारा ईडी को दिये गये बयानों का इस्तेमाल आरोपी के खिलाफ न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है, जो आरोपी के कानूनी अधिकारों के खिलाफ है.
याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क था कि कैसे जांच शुरू करने, गवाहों या आरोपी व्यक्तियों को पूछताछ के लिए बुलाने, बयान दर्ज करने, संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए अधिकतम 7 साल की सजा है, लेकिन कानून के तहत जमानत हासिल करना बहुत मुश्किल है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में क्या है
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार PMLA एक्ट के तहत ED की शक्तियां बरकरार रहेंगी. ईडी इस एक्ट के तहत जांच, तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी कर सकती है. संपत्तियां कुर्क भी कर सकती है. कोर्ट ने जमानत की दोहरी शर्तों के प्रावधानों को भी बरकरार रखा है. – सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि ECIR की तुलना एफआईआर से नहीं की जा सकती. यह ईडी का आंतरिक दस्तावेज है. ऐसे में सभी मामलों में ECIR की कॉपी देना आवश्यक नहीं है. आरोपी को गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त है. हालांकि, ट्रायल कोर्ट यह फैसला दे सकती है कि आरोपी को कौन से दस्तावेज देने हैं या नहीं. ईडी अधिकारियों को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को हिरासत में लेने के समय गिरफ्तारी के आधार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है. जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जेपी नड्डा ने कहा?
Supreme Court has upheld the PMLA and jurisdiction of ED. The law is taking its course & the Congress party’s attempt to keep one family above the law will not work. We must respect the law of the land: BJP President JP Nadda pic.twitter.com/ftV6DP8vHr
— ANI (@ANI) July 27, 2022
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि कांग्रेस जो विषय उठा रही हैं वह न ही देश के लिए है और न ही पार्टी के लिए, बल्कि यह परिवार को बचाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. कहा कि करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है उस घोटाले के बारे में उन्हें एजेंसी को जवाब देना चाहिए.
नड्डा ने कहा, यह परिवार अपने आपको देश और कानून से ऊपर समझता है, इसलिए इनसे कोई जवाब मांगे तो इन्हें पसंद नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए और ईडी के अधिकार क्षेत्र को बरकरार रखा है. कानून अपना काम कर रहा है. कांग्रेस को नियम कायदे मानने चाहिए.