Ranchi : विश्व आदिवासी दिवस (9 अगस्त) के अवसर पर रांची में , स्थल से पदयात्रा निकाली जाएगी, जो जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम में जनसभा में परिवर्तित होगी. इस कार्यक्रम का आयोजन सिरम टोली बचाओ समिति के तत्वावधान में किया जा रहा है और इसे ‘आदिवासी समाज अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा.
सिरम टोली रैंप का विरोध बनेगा झांकी का हिस्सा
नगड़ा टोली स्थित सरना भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में इस बात की जानकारी दी गई. पदयात्रा में सांस्कृतिक झांकी के माध्यम से सिरम टोली सरना स्थल के पास बनाए गए रैंप का विरोध दर्ज किया जाएगा. पारंपरिक गीत-नृत्य और नाटकों के जरिए आदिवासी संघर्षों को मंच पर लाया जाएगा.
इस दिन को अधिकार दिवस के रूप में मनायेगा आदिवासी समाज
वक्ताओं ने कहा कि यह दिन केवल उत्सव नहीं, बल्कि जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष का प्रतीक बनेगा. आदिवासी समाज विश्व आदिवासी दिवस को अधिकार दिवस के रूप में मनायेगा.
आदिवासी अस्मिता और संघर्ष की याद दिलाया यह दिन : निरंजना हेरेंज
सामाजिक कार्यकर्ता निरंजना हेरेंज ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी अस्मिता और संघर्ष की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन की नजर में हम अदृश्य हो गये हैं. निरंजना हेरेंज नेजल, जंगल और जमीन पर हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने की बात कही.
जमीन और सरना स्थलों पर किया जा रहा कब्जा : राहुल तिर्की
राहुल तिर्की ने नगड़ी की 227 एकड़ भूमि और बेड़ों के सरना स्थल पर कब्जे के प्रयासों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित है.
आदिवासी दिवस सिर्फ उत्सव नहीं, आंदोलन का प्रतीक बन चुका है : गीतांश्री उरांव
पूर्व शिक्षा मंत्री गीतांश्री उरांव ने विश्व आदिवासी दिवस को लेकर कहा कि यह दिन अब केवल उत्सव नहीं रह गया है, बल्कि यह आदिवासी समाज की एकता, आंदोलन और अधिकारों की बुलंद आवाज का प्रतीक बन चुका है. उन्होंने कहा कि यह दिवस हमें हमारी ऐतिहासिक लड़ाइयों, संघर्षों और अधिकारों की याद दिलाता है. यह समय है जब हम जल, जंगल और जमीन पर अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर खड़े हों.
गीतांश्री उरांव ने स्पष्ट किया कि आदिवासी दिवस को केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि इसे अधिकारों की लड़ाई को आगे बढ़ाने के एक मजबूत मंच के रूप में इस्तेमाल किया जाए. उन्होंने युवाओं से भी अपील की कि वे अपने समाज की जड़ों को समझें और अपनी पहचान तथा अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आएं.
प्रेस वार्ता में ये रहे शामिल
कार्यक्रम में कुंदरसी मुंडा, संगीता कच्छप, हर्षिता मुंडा, वासुदेव भगत, लक्ष्मी मुंडा, आकाश तिर्की, राकेश बड़ाईक, विजय कच्छप समेत अन्य शामिल थे.