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रामचंद्र गुहा, अरुंधति राय, शबाना समेत एक हजार बुद्धिजीवियों की मांग, DU पाठ्यक्रम में दलित लेखिकाओं व महाश्वेता देवी की वापसी हो

NewDelhi : देश के एक हजार से अधिक बुद्धिजीवियों ने डीयू के कुलपति के साथ-साथ राष्ट्रपति से दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अंग्रेजी पाठ्यक्रम से हटाई गयी तीन महिला लेखकों की वापसी की मांग की है. इनमें लेखिका अरुंधति रॉय, शिक्षाविद रामचंद्र गुहा और अभिनेत्री शबाना आजमी भी शामिल हैं, इन सबने दो दलित लेखिकाओं (बामा और सुखीरथरानी) और महाश्वेता देवी की वापसी की मांग की है. इसे भी पढ़ें : कांग्रेस">https://lagatar.in/congress-leader-salman-khurshid-said-party-can-win-120-130-seats-in-2024-still-hope-to-get-power/">कांग्रेस

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हस्ताक्षर करने वालों में  विक्रम चंद्रा , शर्मिला टैगोर , रोमिला थापर शामिल

इस बाबत देश के कुल 1,150 हस्ताक्षरकर्ताओं ने महिला लेखकों को बहाल करने के लिए याचिका दायर की है. खबरों के अनुसार मामले से जुड़ी याचिका डीयू के मिरांडा हाउस से अंग्रेजी के चार एसोसिएट प्रोफेसरों (दीपिका टंडन, सरस्वती सेन गुप्ता, शम्पा रॉय और शर्मिला पुरकायस्थ) द्वारा मंगाई गयी थी.   हस्ताक्षर करने वालों में लेखक विक्रम चंद्रा और पेरुमल मुरुगन, अभिनेत्री शर्मिला टैगोर व नंदिता दास सहित  स्कॉलर रोमिला थापर और जयति घोष भी शामिल हैं. जान लें कि याचिका में अखिल भारतीय दलित महिला अधिकार मंच, एशिया दलित अधिकार मंच, बांग्ला दलित साहित्य संस्था और दलित मानवाधिकार के लिए राष्ट्रीय अभियान सरीखे दलित संगठनों ने भी हस्ताक्षर किये हैं. बता दें कि डीयू दो दलित लेखकों के साथ प्रसिद्ध लेखिका महाश्वेता को पांचवें सेमेस्टर के अंग्रेजी पाठ्यक्रम से हटाने पर विरोध झेल रही है. इसे भी पढ़ें : आरएसएस">https://lagatar.in/rss-mohan-bhagwat-again-said-every-indian-is-a-hindu-muslims-need-not-fear/">आरएसएस

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हटाये गये ग्रंथ मौलिक रूप से महत्वपूर्ण हैं

याचिका पर हस्ताक्षर करने वालों के संयुक्त बयान में कहा गया है कि हटाये गये ग्रंथ मौलिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे दलित और आदिवासी समुदायों के प्रणालीगत उत्पीड़न को महसूस करने में मदद करते हैं. खासकर लिंग के संदर्भ में…और हमारे समकालीन लोकाचार और राजनीति की बेहतर प्रशंसा प्रदान करते हैं. क्या यह ऐसा कुछ नहीं है, जिसे स्वतंत्र भारत के युवा पुरुषों और महिलाओं को जानने और उनसे जुड़ने की जरूरत है?  एक बेहतर और समान दुनिया का निर्माण कैसे होगा? या क्या हम विरोध करने वाली महिला और आदिवासी को दिल्ली विवि 2021 के पाठ्यक्रम की परिधि में वापस ला रहे हैं? हम किससे डर रहे हैं इसे भी पढ़ें :  ट्राइब्‍यूनल्‍स">https://lagatar.in/sc-stunned-on-passing-the-tribunals-reforms-act-2021-cji-said-we-do-not-want-any-conflict/">ट्राइब्‍यूनल्‍स

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 विवि से फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह  

लिखा है कि 1947 के दशकों बाद अनुवाद और अंग्रेजी में भारतीय साहित्य को डीयू के अंग्रेजी सिलेबस के उपनिवेशित परिसर में प्रवेश की अनुमति दी गयी थी. क्या लेखकों की जाति, वर्ग और लिंग के संदर्भ में और उनके द्वारा जीवंत किये गये संसार के संदर्भ में प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए?  हम विवि से अपने फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह करते हैं. हालांकि  डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने पूर्व में आलोचना का जवाब देते हुए कहा था कि पाठ्यक्रम समावेश  था, लेकिन उन्होंने कहा कि विवि इस विचार की सदस्यता लेता है कि अध्ययन के एक भाषा पाठ्यक्रम में पाठ का हिस्सा बनने वाली साहित्यिक सामग्री में ऐसी सामग्री होनी चाहिए जो किसी भी व्यक्ति की भावना को चोट न पहुंचाये. इसी बीच, दक्षिणपंथी शिक्षकों के समूह एनडीटीएफ ने कहा है कि हिंदू धर्म और हमारी प्राचीन सभ्यता को बदनाम करने, सामाजिक जातियों के बीच दुश्मनी को कायम रखने, आदिवासियों के बीच उग्रवादी माओवाद और कट्टरवाद को प्रोत्साहित करने आदि का प्रयास किया गया था. [wpse_comments_template]

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