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ITI में सर्टिफिकेट तो मिल रहा, पर दक्षता नहीं, खाली पड़े हैं फैकल्टी के पद

Ranchi : ITI - आईटीआई">https://lagatar.in/police-disclosed-robbery-with-csp-operator-two-arrested/37833/">आईटीआई

के हैं खस्ताहाल. झारखंड के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए तकनीकी शिक्षा को बेहतर बनाने की कार्ययोजना बनाई है. तकनीकी शिक्षा में नामांकन अनुपात वर्ष 2021—22 में 15.7 से बढ़ाकर 32 करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर स्वरोजगार से जोड़ने में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) की अहम भूमिका है, मगर प्रदेश में आईटीआई संस्थान के हालात बेहतर नहीं हैं. इसे भी पढ़ें : JPSC">https://lagatar.in/jpsc-date-for-filling-up-civil-services-examination-date-increased-now-21-march-is-last-date/37881/">JPSC

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संस्थान में इंस्ट्रक्टर भी नहीं

राज्यभर के 59 आईटीआई में महज 295 इंस्ट्रक्टर हैं, जबकि इंस्ट्रक्टर के 1051 पद है, जिसमें 752 पद रिक्त हैं. जब संस्थान में इंस्ट्रक्टर ही नहीं है, तो तकनीकी पढ़ाई कैसे होती है? इस सवाल का जवाब तकनीकी शिक्षा विभाग के जिम्मेवारों के पास नहीं है. जिम्मेवारों का कहना है कि नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया चल रही है. मैन पावर की कमी है, फिर भी संस्थानों में पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दिया जा रहा है. यानी एक तिहाई इंस्ट्रक्टर के भरोसे हजारों युवा तकनीकी ज्ञान की जगह केवल डिग्री ले रहे हैं. प्रैक्टिकल नॉलेज नहीं होने से युवाओं का स्किल डेवलपमेंट नहीं होता है. ऐसे में उन्हें प्राइवेट कंपनी में 10 से 15 हजार वेतन पर काम करना पड़ता है, जबकि आईटीआई प्रदेश के युवाओं को तकनीकी रूप से दक्ष बनाकर स्वरोजगार से जोड़ने वाले बेहतरीन इंस्टीट्यूट की श्रेणी में रखा गया है.

प्रदेश के 59 आईटीआई इंस्टीट्यूट 6 स्थाई प्राचार्य के भरोसे

आईटीआई संस्थान में मैनपावर">https://lagatar.in/fast-bowler-bumrah-married-sanjana-ganesan/37816/">मैनपावर

की भारी कमी है. कई संस्थान में तो फैकल्टी ही नहीं है. फिरभी हर साल ऐसे संस्थानों से छात्र आईटीआई का ​सर्टिफिकेट हासिल कर रहे है. राज्य गठन से अबतक 19 सालों में एक भी प्राचार्य और प्रशिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है. 59 संस्थानों का संचालन मात्र 6 स्थाई प्राचार्य के भरोसे किया जा रहा है. जो सीनियर प्रशिक्षक हैं, उन्हें प्रभारी प्राचार्य बनाकर काम चलाया जा रहा है. आईटीआई में तैनात इंस्ट्रक्टर एक-दूसरे के संस्थान में जाकर घंटी के हिसाब से पढ़ाते हैं. बदले में उन्हें ट्रैवल अलाउंस समेत अन्य भत्ते मिलते है. प्राचार्य और इंस्ट्रक्टर की कमी का सीधा असर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर पड़ रहा है.

ITI में इन ट्रेडों में होती है पढ़ाई

इलेक्ट्रिशियन, फीटर, डीजल मैकेनिक, वेल्डर, टर्नर, वायरमैन, रेडियो, टीवी, मशीनिस्ट, वायरलेस ऑपरेटर आदि.
  • 9000 स्टूडेंट हर साल आईटीआई में लेते हैं एडमिशन
  • 55 प्राचार्य पद रिक्त हैं 19 सालों से
  • 50% प्रशिक्षक पद पूरे राज्य में खाली पड़े हैं
  • 250 इंस्ट्रक्टर की जरूरत संताल परगना में

इंस्टीट्यूट में संसाधन नहीं रहने से पढ़ाई प्रभावित

  • कई के भवन जर्जर हैं, इनके पुनर्निर्माण व मरम्मतीकरण पर सरकार का ध्यान नहीं.
  • वर्कशॉप के लिए बेहतर क्लासरूम नहीं हैं.
  • शिक्षकों की कमी से कभी पढ़ाई होती है, कभी नहीं.
  • प्राचार्य पर अधिक वर्कलोड के कारण छात्रों की अन्य समस्याओं का निष्पादन नहीं
  • सेशन के दौरान छात्रों की रुचि भी घटती जाती है.
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