Medininagar : विज्ञापन संख्या 01/2010 के तहत नियुक्त 251 बर्खास्त अनुसेवकों ने अपने समायोजन की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन किया. अनुसेवकों का कहना है कि 2017 में लिखित परीक्षा के बाद वर्ष 2018 में उन्हें चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद पर नियुक्त किया गया था. सभी अनुसेवक अपने-अपने पदों पर नियमित रूप से कार्य कर रहे थे.
बड़ी संख्या में बर्खास्त अनुसेवकों ने साहित्य समाज चौक से लेकर समाहरणालय तक मार्च निकाला. बर्खास्त अनुसेवकों के समर्थन में पूर्व विधानसभा स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने भी शिरकत की.बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपील संख्या 13950–13951/2025 में पारित आदेश के आलोक में उन्हें बिना किसी कारण बिना शोकॉज नोटि, के ही सेवा से बर्खास्त कर दिया गया.
उनका आरोप है कि इस मामले में तत्कालीन उपायुक्त शशि रंजन ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की. सीधे सभी 251 अनुसेवकों को सेवा से हटा दिया गया, जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है.
धरना पर बैठे अनुसेवकों ने कहा कि वे इस मुद्दे को लेकर कई बार मुख्यमंत्री से मिल चुके हैं. इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें समायोजन का आश्वासन भी दिया गया था और कहा गया था कि इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है. इसके बावजूद अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है.
अनुसेवकों ने बताया कि समायोजन की मांग को लेकर वे पूर्व में दो-तीन बार शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं. वे अपनी मांग-पत्र मुख्यमंत्री, राज्यपाल,मुख्य सचिव,कार्मिक सचिव एवं उपायुक्त पलामू को सौंप चुके हैं. दस दिन बीतने के बाद भी आज तक उनकी मांगों पर अमल नहीं हुआ है.
इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि झारखंड सरकार एवं जिला प्रशासन से मांग की है कि मानवीय आधार पर सभी 251 अनुसेवकों का अविलंब समायोजन किया जाए. कई परिवार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. जिला प्रशासन उन्हें जल्द ही समायोजन कर नौकरी दे ताकि वे परिवार का भरण-पोषण सम्मानपूर्वक कर सकें.
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