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पलामू : ग्रामीणों के आरोपों पर कार्रवाई नहीं, फेयर माइंस की शिकायत पर प्राथमिकी

Palamu: फेयर माइंस कार्बन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अवैध खनन करने, पेड़ों की अवैध कटाई करने और पर्यावरण नियमों के उल्लंघन करने का विरोध करने वालों पर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. जबकि इससे पहले ग्रामीणों तीन बार थाना में शिकायत की, लेकिन कंपनी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई. यह घटना पलामू पुलिस पर सवाल खड़ा करता है. 


ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी द्वारा पिछले कई महीनों से बिना जमीन के वैध एग्रीमेंट, बिना सीएनटी एक्ट की धारा 49 की अनुमति और बिना रैयतों की सहमति के जबरन खनन कार्य किया जा रहा है. इसके अलावा कंपनी द्वारा ग्रामीणों को धमकी देने और अवैध रूप से पेड़ों की कटाई किए जाने का भी आरोप लगाया गया है. 

 

तीन-तीन बार दी शिकायत, प्राथमिकी नहीं


ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कंपनी के खिलाफ पड़वा थाना और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तीन बार शिकायत की. 4 सितंबर, 16 सितंबर, 4 नवंबर और 6 नवंबर को कुल तीन आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की थी. इन सभी आवेदनों में अवैध खनन, सरकारी जमीन पर कब्जा, पेड़ कटाई और पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लिखा था. पुलिस ने ग्रामीणों की शिकायत पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की. 

 

कंपनी की शिकायत पर तुरंत दर्ज हुई एफआईआर


ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर तो कुछ नहीं किया, लेकिन जब फेयर माइंस कार्बन प्राइवेट लिमिटेड ने 19 नवंबर को पड़वा थाना में एक आवेदन दिया, तो उसी दिन तुरंत प्राथमिकी दर्ज कर ली गई. एक तरफ पुलिस ग्रामीणों की शिकायत पर चुप रही, तो दूसरी तरफ कंपनी की शिकायत पर तुरंत मुखर हो गई. यह बताता है कि पलामू पुलिस कंपनी के पक्ष में किस तरह काम कर रही है.

 

सीओ की नोटिस के बाद दर्ज करायी प्राथमिकी


इस पूरे मामले में एक और बड़ा तथ्य यह है कि पड़वा अंचल अधिकारी द्वारा 6 नवंबर को कंपनी को सरकारी जमीन पर अवैध खनन और कोयला भंडारण को लेकर नोटिस जारी किया है. साथ ही कंपनी पर पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों के उल्लंघन का भी मामला सामने आया था. ग्रामीणों का आरोप है कि जैसे ही यह मामला सार्वजनिक हुआ और प्रशासनिक नोटिस जारी हुआ, उसके कुछ ही दिनों बाद कंपनी ने ग्रामीणों और शिकायतकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी, ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके. 

 

ग्रामीणों का कहना है हमें न्याय चाहिए


ग्रामीणों का कहना है कि वे केवल अपनी जमीन, जंगल और पर्यावरण की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं. उनका आरोप है कि कंपनी उन्हें डराने और दबाने की कोशिश कर रही है ताकि अवैध खनन बेरोक टोक जारी रह सके. ग्रामीणों ने अब इस मामले को लेकर उच्च अधिकारियों और राज्य सरकार तक शिकायत पहुंचाने की बात कही है. उनका कहना है कि यदि उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला तो वे आंदोलन का रास्ता भी अपनाएंगे.

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