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पांकी : सरकारी उपेक्षा का शिकार है मजदूर किसान कॉलेज, मूलभूत सुविधाएं भी मयस्सर नहीं

Shiv Shankar Paswan
Panki :  पांकी के डंडारकला स्थित मजदूर किसान कॉलेज सरकारी उपेक्षा का शिकार है. यहां मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. कॉलेज में पार्किंग, कैंटीन, लाइब्रेरी रूम, पेयजल, गार्डेन सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं है. इससे छात्र-छात्राओं और यहां कार्यरत शिक्षकों को परेशानी होती है. इससे बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है. बता दें कि इस कॉलेज में आर्ट्स (कला) और कॉमर्स (वाणिज्य) संकाय (स्ट्रीम) की पढ़ाई होती है. वर्तमान समय में यहां 5500 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं. वहीं 51 शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारी हैं. (पढ़ें, पहली">https://lagatar.in/on-the-first-monday-dc-ssp-reviewed-the-route-from-golden-rekha-river-to-pahari-mandir/">पहली

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सरकार ने कॉलेज के विकास की दिशा में कोई पहल नहीं की

इस संबंध में कॉलेज के प्राचार्य दिलीप कुमार का कहना है कि कॉलेज की समस्याओं को लेकर सरकार का कई बार ध्यान आकृष्ट कराया गया. लेकिन राज्य सरकार ने कॉलेज के विकास की दिशा में कोई पहल नहीं की. उन्होंने फिर से सरकार से कॉलेज की आधारभूत संरचना को मजबूत कराने की मांग की है. ताकि यहां छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिल सके.
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2004 में 184 बच्चों के नामांकन के साथ कॉलेज में शुरू हुई पढ़ाई 

बता दें कि 1981 में डंडारकला के ग्रामीणों और शिक्षा प्रेमियों की पहल से मजदूर किसान कॉलेज की स्थापना की गयी थी. ताकि यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा मिल सके. ग्रामीणों ने श्रमदान कर इस महाविद्यालय का निर्माण किया था. शिक्षाविद डॉ बलदेव यादव, बालेश्वर सिंह, डॉ बिंदेशवरी सिंह सहित दानदाता सदस्यों कहना है कि पांकी प्रखंड के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए 45 किमी दूर मेदिनीनगर जाना पड़ता था. इससे अभिभावकों को बच्चों की चिंता सताती रहती थी. ऐसे में इस कॉलेज का निर्माण किया गया था. ताकि बच्चे गांव में ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके. बताया कि कॉलेज के शुरुआती दौर 2004 में 184 बच्चों के नामांकन के साथ यहां पढ़ाई शुरू हुई. कॉलेज को पहली संबद्धता 2005 में और स्थायी संबद्धता 2016 में मिली.
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