Ranchi: राज्य के वकीलों के न्यायिक कार्य से दूर रहने का खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है. स्टेट बार काउंसिल के सख्त निर्देश के कारण कोई भी अधिक्वता न्यायिक कार्य नहीं कर रहा है. जिसके कारण कई मुकदमें कोर्ट के समक्ष नहीं आ रहे. इसका दुष्परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.
जमीन नीलाम होने के कगार पर
रांची के रहने वाले मिथिलेश कुमार साव बताते हैं कि कोर्ट में याचिका नहीं डाल पाने के कारण उनकी जमीन नीलाम होने की स्थिति आ चुकी है. मिथिलेश के मुताबिक उन्होंने एक निजी बैंक से 12 लाख रूपये का लोन लिया था. लोन की राशि का 25 प्रतिशत भुगतान भी कर दिया लेकिन कोरोना के कारण उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गयी और वो बाकि की बची हुई राशि का भुगतान नहीं कर पाये. यह लोन उन्होंने अपनी जमीन के एवज में लिया था. जिसकी मार्केट वैल्यू लोन की राशि से कहीं ज्यादा है. अब बैंक उनकी जमीन की नीलामी करने पर अड़ा हुआ है. वो चाह कर भी अपनी जमीन बचाने के लिए न्यायालय की शरण नहीं ले पा रहे. उन्होंने अपना केस फाइल करने के लिए कई वकीलों से मिन्नत की लेकिन कोई उनका केस फाइल नहीं कर रहा. वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वकील अगर न्यायिक कार्य करते हैं तो काउंसिल उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा.
देर से मिला न्याय अन्याय के समान
न्यायालय में जब कोई व्यक्ति वादी या परिवादी बनकर जाता है तो उसे न्यायाधीश और अपने वकील इन्हीं दो व्यक्तियों से सबसे ज्यादा उम्मीद होती है. लेकिन करीब 9 दिनों से अधिवक्ता काउंसिल के निर्देश के कारण केस फाइल समेत अन्य न्यायिक कार्य नहीं कर रहे. जिससे सैकड़ों लोग न्याय की आस में बैठे हैं. किसी व्यक्ति को न्याय मिलने में देर होती है तो इसे अन्याय की तरह ही देखा जाता है. समय पर न्याय मिलने में देर होना एक तरह का अन्याय ही है. मौजूदा हालात को देखते हुए न्यायालय ने अतिमहत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई का निर्देश भी पिछले दिनों जारी किया था ताकि कोरोना के इस गंभीर संक्रमण काल में भी लोगों को न्याय मिलता रहे. लेकिन काउंसिल के निर्देश के बाद झारखंड में फिलहाल ऐसा होता दिख नहीं रहा है.