- योजना का नाम बदलने की सनक से बेवजह सरकार पर खर्च का बोझ बढ़ता है
- केंद्र सरकार की भागीदारी 90 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी करने का प्रावधान है
- लेफ्ट के सांसदों ने संसद भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
New Delhi : संसद के शीतकालीन सत्र के 11वें दिन आज मंगलवार को प्रश्नकाल के बाद लोकसभा में ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विकसित भारत जी राम जी विधेयक पेश किया गया.यह विधेयक पास होने के बाद मनरेगा कानून की जगह लेगा. इस विधेयक में 125 दिन के रोजगार की गारंटी दी गयी है.
"Under pretext of renaming, scheme may be scrapped": Priyanka Gandhi on changes to MGNREGA
— ANI Digital (@ani_digital) December 16, 2025
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विपक्षी सदस्यों ने महात्मा गांधी का नाम हटाये जाने की बात कहते हुए विधेयक का विरोध किया. साथ ही कहा कि इस बिल से राज्यों पर बोझ बढ़ेगा. उधर लेफ्ट के सांसदों ने संसद भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
शिवराज चौहान ने कहा कि हम बापू का सम्मान करते हैं. बापू हमारे दिलों में बसते हैं. पता नहीं क्यों जी राम जी नाम से ये (विपक्षी) भड़क गए. महात्मा गांधी भी राम का सम्मान करते थे. उनके तो अंतिम शब्द भी हे राम थे.
बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि इस विधेयक की कई खामियां हैं. उन्होंने इस बिल को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की. कहा कि किसी योजना का नाम बदलने की सनक से बेवजह सरकार पर खर्च का बोझ बढ़ता है.
इस नये विधेयक में योजना पर खर्च में केंद्र सरकार की भागीदारी 90 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी करने का प्रावधान है. इससे राज्यों पर बोझ बढ़ जायेगा.
शशि थरूर ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि मेरी पहली आपत्ति दूसरों की तरह ही है. कहा कि राष्ट्रपिता का नाम हटाने का निर्णय गलत है. यह महज़ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है. यह इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मूल भावना और दार्शनिक आधार पर हमला है.
महात्मा गांधी का नाम हटाना इसकी नैतिक दिशा-निर्देश और ऐतिहासिक वैधता को ख़त्म करना है. राज्य सरकारों पर सीधे 40 प्रतिशत वित्तीय बोझ डालने का प्रस्ताव न केवल वित्तीय रूप से गैर-जिम्मेदाराना है.
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