Ranchi : झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अनुसूचित जाति के लोगों के उत्थान के लिए राज्य आयोग और परामर्शदात्री परिषद को पुनर्जीवित करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि झारखंड में लगभग 50 लाख अनुसूचित जाति के लोग हैं, जो सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण से काफी पिछड़े हुए हैं.
पत्र में गिनाई खामियां
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अनुसूचित जाति आयोग की अनदेखी: 2018 में भाजपा शासनकाल में गठित अनुसूचित जाति आयोग कभी भी क्रियाशील नहीं रहा, क्योंकि आयोग में किसी भी पदाधिकारी की पदस्थापना नहीं हुई थी.
परामर्शदात्री परिषद की उपेक्षा: 17 वर्षों से अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद कागजों में ही दर्ज है, जबकि इसका गठन हरिजन जाति के संरक्षण एवं सामाजिक आर्थिक विकास के लिए नीति तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था.
सीमित योजनाएं: अनुसूचित जाति के लोगों के आर्थिक उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाएं मुर्गी, बकरी एवं सूकर पालन तक सीमित हैं.
पत्र में की गयी मांग
राज्य आयोग और परामर्शदात्री परिषद का पुनर्जन्म: राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि अनुसूचित जाति राज्य आयोग तथा अनुसूचित जाति परामर्शदात्री परिषद को पुनर्जीवित करते हुए शीघ्र अधिसूचना जारी करने का कष्ट करें.
वित्तीय वर्ष 2025-26 बजट में उल्लेख: वित्तीय वर्ष 2025-26 बजट में भी राज्य आयोग और परामर्शदात्री परिषद का उल्लेख किया गया है, जिससे उम्मीदें बढ़ी हैं.
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