New Delhi : देश की जेलों में लगातार बढ़ता कट्टरपंथ (रेडिकलाइजेशन) गंभीर चुनौती बन कर केंद्र सरकार के समक्ष बन कर खड़ा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका संज्ञान लिया है. खबर है कि गृह मंत्रालय ने इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक महत्वपूर्ण पत्र भेजा है.
सूत्रों के अनुसार पत्र 1 जुलाई 2025 को जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि जेलों में कई बार कैदी सामाजिक अलगाव, निगरानी की कमी और समूह गतिशीलता के चलते कट्टरपंथी विचारधाराओं के प्रभाव में आ जाते हैं. कैदी कट्टरपंथी विचारों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं, जो बाद में अपराध और हिंसा का कारण बन सकते हैं.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ मामले ऐसे भी सामने आये हैं, जहां कैदियों ने जेल कर्मचारियों, अन्य कैदियों या बाहर के लोगों पर हमला करने की योजना बनाई. यह सब ध्यान में रखते हुए सरकार इस दिशा में समयबद्ध निगरानी और हस्तक्षेप की रणनीति पर काम कर रही है.
गृह मंत्रालय ने इस संबंध में स्पष्ट किया है कि जेल में आने वाले सभी कैदी की स्क्रीनिंग मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य मूल्यांकन के साथ की जायेगी. समय-समय पर उनका पुनर्मूल्यांकन किया जायेगा ताकि सुनिश्चित हो पाये कि वे किसी कट्टरपंथी नेटवर्क का हिस्सा न बनें.
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे इन दिशानिर्देशों को अपनी जेल व्यवस्था में तुरंत और प्रभावी ढंग से लागू करें. जानकारी के अनुसार जो कैदी चरमपंथी विचारों के प्रति झुकाव रखते हैं या संदिग्ध गतिविधियों में शामिल पाये जाते हैं,
उन्हें सामान्य कैदियों से अलग हाई सिक्योरिटी विंग में रखा जायेगा, जिससे वे अन्य कैदियों को प्रभावित न कर सकें. लगातार.उन पर निगरानी रखी जायेगी. इसके अलावा अन्य उपाय भी किये जायेंगे.