New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली सहित अन्य राज्यों में भीषण बारिश और बाढ़ को लेकर चिंता जताई हैं. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में हो रही पेड़ों की अवैध कटाई पर चिंता जताते हुए इसे प्रकृति का प्रकोप माना है.
#WATCH | Delhi: NDRF deployed after Madanpur Khadar Vishwakarma Colony of South East Delhi submerged as the level of the river Yamuna continues to rise following heavy rainfall. pic.twitter.com/7qYPbGyC0l
— ANI (@ANI) September 4, 2025
CJI बीआर गवई ने कहा कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब से बाढ़ और भूस्खलन की खबरें आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि बाढ़ में भारी मात्रा में लकड़ी बह रही हैं. प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि इन राज्यों में पेड़ों की अवैध कटाई हुई है. CJI ने कहा कि हमने लंबे समय तक प्रकृति का दोहन किया है. इसलिए प्रकृति पलटवार करते हुए अपना रौद्र रूप दिखा रही है.
CJI बीआर गवई इतने पर ही नहीं रुके, पहाड़ी राज्यों में पेड़ों की अवैध कटाई और बाढ़ पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि पर्यावरण का विकास और उसके संरक्षण में संतुलन बनाये रखना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार सहित् हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की एनडीएमए को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब तलब किया है. साथ ही कोर्ट ने एनएचएआई से कहा कि वह भी चाहे तो जवाब दाखिल कर सकता है.
सीजेआई गवई ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि चारों ओर बड़ी संख्या में पेडों से कटी हुई लकडियां बहती देखी जा रही है. यह पेड़ों की अवैध कटाई की तरफ इशारा करता है. यह गंभीर मामला है. पंजाब का जिक्र करते हुए कहा कि वहां फसलें जलमग्न नजर आ रही हैं. CJI ने कहा कि पंजाब में गांव के गांव और खेत पानी में समा गये हैं.
सॉलिसिटर जनरल ने CJI की बात से सहमति जताते हुए कहा कि हमने प्रकृति के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब प्रकृति हमें जवाब दे रही है. इस क्रम में सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को विश्वास दिलाया कि वे इस मुद्दे पर पर्यावरण मंत्रालय के सचिव से बात करेंगे. उनसे कहेंगे कि वे संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों से बात करेंगे.
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